गुवाहाटी/कोलकाता। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा बंगाली भाषा बोलने वालों को विदेशी करार देने संबंधी टिप्पणी पर राजनीतिक बवाल तेज हो गया है। टीएमसी ने इस बयान को बंगालियों का अपमान बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। आरोप है कि एनआरसी प्रक्रिया के तहत असम में बंगाली भाषी लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं, और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री सरमा का कथित बयान है कि "यदि कोई बंगाली बोलता है, तो उसे विदेशी के रूप में पहचानना आसान है।" इस टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
टीएमसी का आरोप – बंगालियों को बनाया जा रहा निशाना
टीएमसी ने दावा किया है कि बीते एक महीने से बंगाली समुदाय को योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। पार्टी के अनुसार, पहले ओडिशा में 400 से अधिक लोगों को बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया गया, फिर दिल्ली में प्रवासी बंगाली मजदूरों को भी इसी तरह बदनाम किया गया। अब असम सरकार की ओर से दिया गया यह बयान उस सिलसिले को आगे बढ़ा रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे बंगालियों की गरिमा के खिलाफ बताया और कहा है कि वह इस विषय को जनता के बीच लेकर जाएंगी।
"बंगाल विरोधी हैं असम के मुख्यमंत्री" - टीएमसी
टीएमसी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की नीतियां बंगाल विरोधी मानसिकता को दर्शाती हैं। प्रवक्ता ने कहा कि बंगाल वह राज्य है जिसने स्वतंत्रता संग्राम में सबसे ज्यादा योगदान दिया और आज उसी राज्य के लोगों को बार-बार बांग्लादेशी बताकर अपमानित किया जा रहा है। पार्टी ने दावा किया कि ओडिशा से शुरू हुआ यह सिलसिला अब असम तक पहुंच गया है।
"बंगालियों ने भाजपा को रोका है" - टीएमसी
टीएमसी नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि बंगाली समाज जागरूक और शिक्षित है और यही वर्ग भाजपा को बंगाल में रोकने में सफल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में कोई जन समर्थन नहीं मिलेगा।
भाजपा का पलटवार
वहीं, भाजपा ने टीएमसी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत में अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशियों की पहचान और रोकथाम आवश्यक है। पार्टी का कहना है कि बंगाल, असम और त्रिपुरा की सीमाओं से बड़ी संख्या में लोग अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर चुके हैं। केंद्र सरकार इन गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहती है, लेकिन टीएमसी सरकार ने उन्हें संरक्षण दिया, ताकि वे राज्य के मतदाता बन सकें। भाजपा का कहना है कि पूरे मामले पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।