कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद डॉ. उदित राज ने शनिवार को एक बयान में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तुलना भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर से की। उन्होंने कहा कि यदि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से सुने और समझे, तो वे उनके लिए डॉ. आंबेडकर जैसी भूमिका निभा सकते हैं।
‘राहुल गांधी में है दूरदर्शिता’
उदित राज ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि तेलंगाना में हुई जातिगत जनगणना समाज के स्वरूप का स्पष्ट चित्रण है। राहुल गांधी इस विचार को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि दलित और पिछड़ा वर्ग सक्रिय रूप से आगे आए, तो न सिर्फ सामाजिक असमानता घटेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
उदित राज के अनुसार, पिछड़े वर्ग के लोगों को यह समझना होगा कि विकास के अवसर बार-बार नहीं आते। राहुल गांधी के विचारों और प्रयासों को समर्थन देकर वे अपनी सामाजिक स्थिति को सशक्त बना सकते हैं।
राहुल गांधी ने स्वीकार की ओबीसी को लेकर पूर्व की चूक
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शुक्रवार को आयोजित ‘ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें राजनीति में दो दशक से अधिक हो चुके हैं, और इस दौरान आत्ममंथन करने पर उन्हें कई क्षेत्रों में अपने योगदान पर संतोष है—जैसे मनरेगा, भूमि अधिग्रहण कानून, नियमगिरी आंदोलन आदि। उन्होंने कहा कि आदिवासियों, दलितों और महिलाओं के मुद्दों पर उन्होंने गंभीरता से काम किया है।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ओबीसी समाज के मुद्दों को पहले उतनी गंभीरता से नहीं समझ सके, जितना उन्हें चाहिए था। राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा कि यह चूक कांग्रेस पार्टी की नहीं, बल्कि उनकी व्यक्तिगत गलती है, जिसे अब वे सुधारने का संकल्प ले चुके हैं।
‘हलवा बनाने वाले ओबीसी, खाने वाले कोई और’
राहुल गांधी ने बजट प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए कहा कि देश की कुल जनसंख्या का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा—जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक शामिल हैं—वास्तव में देश की उत्पादक शक्ति है, लेकिन जब संसाधनों के बंटवारे की बारी आती है, तो यह वर्ग हाशिये पर रह जाता है। उन्होंने कहा, “हलवा बनाने वाले आप हैं, लेकिन खाते कोई और हैं। हम यह नहीं कह रहे कि वे न खाएं, लेकिन आपको भी तो हिस्सा मिलना चाहिए।”