कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और उद्योगपति रॉबर्ट वाड्रा ने हाल ही में एक साक्षात्कार में देश के वर्तमान हालात और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हुए प्रार्थना की कि पूरे देश में भाईचारा और सौहार्द कायम रहे। वाड्रा ने कहा कि उनका फोकस स्वास्थ्य और सामाजिक सरोकारों पर रहता है। इसी सोच के तहत उन्होंने बच्चों से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें कैरल के गीत सुनाए और अपने स्कूल और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया। वाड्रा ने कहा कि बच्चों में मेहनत और लगन देखने को मिलती है, क्योंकि वे जानते हैं कि बेरोजगारी देश में बड़ी चुनौती बन चुकी है और शिक्षा ही उन्हें बेहतर भविष्य की राह दिखाती है।

प्रियंका गांधी के पीएम उम्मीदवार बनने की चर्चा

कांग्रेस के लोकसभा सांसद इमरान मसूद द्वारा प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री पद का संभावित उम्मीदवार बताए जाने पर वाड्रा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि लोगों की ओर से ऐसी मांगें आती हैं, लेकिन फिलहाल उनका ध्यान राजनीतिक दांव-पेंच से हटकर असल मुद्दों पर केंद्रित है।

प्रदूषण को गंभीर चुनौती बताया

वाड्रा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पहले वे खेलकूद और दौड़ जैसी गतिविधियों में सक्रिय रहते थे, लेकिन अब प्रदूषण के कारण बाहर निकलने से परहेज़ करते हैं। वाड्रा ने आम नागरिकों से अपील की कि वे प्रदूषित माहौल में दौड़ने या साइकिल चलाने से बचें, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पर संसद में व्यापक चर्चा होना चाहिए और प्रियंका गांधी इस विषय पर सदन में बात करना चाहती थीं, लेकिन कार्यवाही स्थगित हो गई।

अंतरराष्ट्रीय अनुभव से समाधान की संभावना

वाड्रा ने सुझाव दिया कि यदि देश के भीतर प्रदूषण का समाधान नहीं हो पा रहा है तो अंतरराष्ट्रीय सहयोग लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन और अन्य देशों के अनुभवों से सीखकर भारत को प्रदूषण से राहत पाने का रास्ता खोजने की आवश्यकता है।

भाईचारा, सुरक्षा और वास्तविक मुद्दों पर जोर

क्रिसमस के अवसर पर वाड्रा ने देश में भाईचारे की मजबूती की कामना की। उन्होंने कहा कि आम नागरिक हिंदू-मुस्लिम विवादों में उलझना नहीं चाहते, बल्कि उनका ध्यान बेरोजगारी, प्रदूषण और महिलाओं की सुरक्षा जैसे वास्तविक मुद्दों पर समाधान खोजने में है। वाड्रा ने कहा कि पहले देश के भीतर इन समस्याओं का हल निकालना जरूरी है, उसके बाद ही अंतरराष्ट्रीय मसलों पर ध्यान दिया जा सकता है।