पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। पूर्व सैन्य महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल कुमार भट्ट ने कहा कि ड्रोन, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र मिलकर भविष्य के युद्धों की दिशा तय करेंगे।

युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल भट्ट ने 'पीटीआई वीडियो' को दिए एक साक्षात्कार में सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा युद्ध को उकसाने वाली बातों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जो लोग चार दिन के सैन्य संघर्ष को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने का अवसर मानते हैं, उनकी सोच सही नहीं है।
भट्ट ने स्पष्ट किया कि युद्ध हमेशा अंतिम विकल्प होना चाहिए और जब रणनीतिक लक्ष्य पहले ही पूरे हो चुके हैं, तो युद्ध की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, "अगर पीओके को वापस लेने के लिए युद्ध का निर्णय लिया जाए, तो वह हमारी योजना और रणनीति का हिस्सा होना चाहिए। हालिया संघर्ष में ऐसी कोई योजना नहीं थी, लेकिन अगर परिस्थितियाँ बिगड़तीं, तो हमारी सेना पूरी तरह से तैयार थी।"

सेवानिवृत्ति के बाद अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान

जून 2020 में सेवानिवृत्त होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल भट्ट ने निजी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास में योगदान देना शुरू किया। डोकलाम संकट के दौरान डीजीएमओ के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही, जहाँ उन्होंने 73 दिनों तक चले चीन के साथ सैन्य गतिरोध को सफलतापूर्वक संभाला था।

डीजीएमओ के तौर पर जिम्मेदारी

डीजीएमओ के रूप में अनिल भट्ट भारतीय सेना के वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक थे। उनकी जिम्मेदारी सशस्त्र बलों को हमेशा ऑपरेशनल रूप से तैयार रखना था। डीजीएमओ का काम सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करना और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान निकालना होता है। इसके अलावा, नौसेना, वायु सेना और अर्धसैनिक बलों के साथ समन्वय भी उनकी भूमिका का हिस्सा था।
किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में डीजीएमओ का दायित्व होता है कि वह दुश्मन देश के अपने समकक्ष अधिकारी से संवाद स्थापित करे। वर्तमान में भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं।

युद्ध कोई हल्की बात नहीं

भारतीय सेना में 38 वर्षों तक सेवा देने वाले भट्ट ने कहा कि युद्ध कोई साधारण मामला नहीं होता, बल्कि यह एक गंभीर निर्णय है। "युद्ध का रास्ता तभी चुना जाता है जब बाकी सभी विकल्प समाप्त हो जाते हैं। हालिया संकट में हमने युद्ध से कम के विकल्पों को चुना और उनका सफलतापूर्वक उपयोग किया," उन्होंने कहा।

डोकलाम संकट में भूमिका

भट्ट ने 2017 में डोकलाम संकट को भी कुशलता से संभाला था, जब चीन के साथ 73 दिनों तक सैन्य गतिरोध चला था। यह संकट सिक्किम सेक्टर के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुआ था।
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल का चार-सितारा रैंक दूसरा सबसे बड़ा पद होता है, जबकि पांच-सितारा रैंक (फील्ड मार्शल) आमतौर पर युद्धकाल या विशेष सम्मान के लिए दिया जाता है।