पंजाब के फगवाड़ा में टीकरी और शंभू बॉर्डर जैसे हालात बनने लगे हैं। सूबे में धान की सुचारू खरीद न होने पर परेशान भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) का सोमवार से शुरू हुआ पक्का धरना मंगलवार को भी जारी रहा। मंडियों में धान की लिफ्टिंग न होने के कारण हजारों किसान धान से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर सड़कों पर डटे हैं। मंगलवार को डिप्टी कमिश्नर कपूरथला अमित कुमार पांचाल और एसएसपी वत्सला गुप्ता ने एसडीएम कार्यालय में किसान नेताओं के साथ बैठक की, लेकिन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। किसानों ने जीटी रोड पर धरना लगाया है। यहां दिन में लंगर भी लगाया। 

किसान नेताओं ने त्योहारी सीजन को देखते हुए जनता की सुविधा के लिए जीटी रोड का कुछ हिस्सा खोल दिया, लेकिन इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि सड़क की चौड़ाई कम हो जाने से यातायात अवरुद्ध रहा और ट्रैफिक जाम लगा रहा। लोग किसानों और सरकार दोनों को कोसते रहे। राहगीरों ने कहा कि किसानों का भी अब यह रोज का ही धंधा बन गया है कि जब मन करता है रोड जाम कर देते हैं।

डीसी और एसएसपी के मनाने पर भी नहीं माने किसान
डीसी व एसएसपी समेत तमाम आला अधिकारी किसानों को मनाने के लिए जुटे रहे, लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए। वहीं, पक्का धरना होने के चलते किसानों ने सड़क पर ही अस्थायी किचन बनाकर चूल्हा जलाकर चाय का लंगर भी लगा दिया है। किसान खाना-दाना लेकर अबकी बार फगवाड़ा में डेरा जमाने का पूरी तरह से मन बना चुके हैं। 

मंडियां खोलने में प्रशासन असमर्थ 
किसान नेता मनजीत सिंह राय, राज्य सचिव सतनाम सिंह साहनी, कुलविंदर सिंह काला अठौली कैशियर, राज्य प्रेस सचिव गुरपाल सिंह पाला मौली, वरिष्ठ किसान नेता सतनाम सिंह बाहरू, सलविंदर सिंह जावियां, गुरमेल सिंह मेलो, संतोख सिंह लखपुर ने कहा कि आज की बैठक सफल नहीं हो सकी। क्योंकि प्रशासन ने पूरे पंजाब की मंडियों को खोलने में असमर्थता जताई है। किसानों की मांग है कि पूरे पंजाब की मंडियां खोली जाएं, ताकि किसान अपना धान बेच सकें। उन्होंने कहा कि जब तक पंजाब भर की मंडियों में धान की खरीद के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक यह हड़ताल अनिश्चितकाल तक जारी रहेगी।

ये सब रहे मौजूद
इस अवसर पर हरभजन सिंह बाजवा मलकपुर, जसवीर सिंह बड़ा पिंड, कुलदीप सिंह रायपुर, स्वर्ण सिंह लादियां, किरपाल सिंह मूसापुर, कामरेड रणदीप सिंह राणा, नरेश भारद्वाज, कुलवंत राय पब्बी, गुरदयाल सिंह भुल्लाराई, मोहन सिंह साई, दविंदर सिंह संधवा, चूहड़ सिंह गंडवा, हरविंदर सिंह खुनखुन, कुलवंत सिंह वरयाहां, गुलशन आहूजा फिल्लौर, बलविंदर सिंह खैरा, सतवीर सिंह, कश्मीर सिंह पन्नू मेहतपुर, कमल ढडवाल, बलिहार सिंह, दविंदर पाल, इंद्रजीत सिंह, लवप्रीत सिंह, लक्की ग्रेवाल, जसवंत सिंह नीटा जगपालपुर, सोनू जगपालपुर, सरबजीत सिंह लखपुर, लैहंबर सिंह लखपुर, अवतार सिंह लखपुर, जरनैल सिंह मूसापुर, मुख्तियार सिंह जस्सोमजारा, हरजीत सिंह सरहाला रानुआ, बलजिंदर सिंह चक मंडेर, सुखविंद्र सिंह संधवा, कुलजीत सिंह, जोरा जस्सोमजारा, दलजीत सिंह, तरसेम सिंह ढिल्लों, मंजीत सिंह लल्लियां, मेजर सिंह, सुखवीर सिंह कुक्कड़ पिंड, अवतार सिंह जगपालपुर, धर्मेंद्र सिंह अठौली, वरिंद्र सिंह, बूटा सिंह, बलजीत सिंह हरदासपुर, हरिंदर नंगल मज्झा, मेजर सिंह अठौली के अलावा बड़ी संख्या में किसान नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।