पटना हवाई अड्डे पर मंगलवार रात एक बड़ा विमान हादसा होते-होते टल गया। दिल्ली से आ रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 2482 लैंडिंग के दौरान रनवे की निर्धारित सीमा से आगे निकल गई। स्थिति को भांपते हुए पायलट ने तुरंत "गो-अराउंड" प्रक्रिया अपनाई और विमान को दोबारा हवा में ले जाकर सुरक्षित लैंडिंग करवाई।
इस घटना ने एक बार फिर पटना एयरपोर्ट के सीमित रनवे की उपयुक्तता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, रात लगभग नौ बजे इंडिगो की यह फ्लाइट लैंडिंग के समय टचडाउन ज़ोन को पार कर चुकी थी। विमान का मुख्य लैंडिंग गियर रनवे पर तो उतरा, लेकिन निर्धारित बिंदु से काफी आगे। पायलट ने स्थिति का आंकलन करते हुए निर्णय लिया कि विमान को रोकने के लिए रनवे की लंबाई पर्याप्त नहीं है। ऐसे में उन्होंने विमान को दोबारा टेक-ऑफ करवा दिया। कुछ देर आसमान में चक्कर काटने के बाद दूसरी बार सफलतापूर्वक लैंडिंग की गई, जिसमें कोई बाधा नहीं आई।
क्या होता है रनवे ओवरशूट?
विमानन विशेषज्ञों के मुताबिक, जब कोई विमान रनवे पर उतरने के बाद तय सीमा के भीतर नहीं रुक पाता और रनवे की अंतिम सीमा को पार कर जाता है, तो उसे रनवे ओवरशूट कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर तब पैदा होती है जब ब्रेकिंग सिस्टम या थ्रस्ट रिवर्सर का प्रभाव पर्याप्त न हो या विमान बहुत तेज़ गति में लैंड करे।
सप्ताहभर पहले पक्षी टकराने की घटना
यह पहली बार नहीं है जब पटना एयरपोर्ट पर विमान को तकनीकी चुनौती का सामना करना पड़ा हो। लगभग एक सप्ताह पहले, दिल्ली के लिए उड़ान भरते ही इंडिगो की एक और फ्लाइट से एक पक्षी टकरा गया था। इससे इंजन में कंपन शुरू हो गया। विमान में 175 यात्री सवार थे। पायलट ने तत्परता दिखाते हुए एटीसी को सूचित किया और आपातकालीन लैंडिंग की अनुमति मांगी। इसके बाद विमान को सुबह 10 बजे सुरक्षित पटना एयरपोर्ट पर उतार लिया गया।