देश की राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर की हवा खराब क्षेणी में पहुंच गई है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 'खराब' श्रेणी में पहुंचने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आदेश जारी कर दिया है। तत्काल प्रभाव से दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यान ग्रैप के चरण-1 के तहत सभी पाबंदियों को लागू कर दिया गया है।

ग्रैप-1 में इन बातों का रखना होता है ध्यान
आमतौर पर ग्रैप-1 तब लागू किया जाता है, जब शहर का एक्यूआई 200 के पार पहुंच जाता है। ग्रैप-1 लागू होने के बाद होटलों और रेस्तरां में कोयला और लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। साथ ही निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) गतिविधियों में धूल शमन उपायों और सीएंडडी कचरे के ठोस पर्यावरण प्रबंधन पर निर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाता है।  इसमें 500 वर्ग मीटर के बराबर या उससे अधिक के भूखंड आकार वाली ऐसी परियोजनाओं के संबंध में सीएंडडी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो संबंधित के वेब पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं।

जानें क्या होता है ग्रैप फार्मूला? 
ग्रैप को दिल्ली-एनसीआर में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के चार अलग-अलग चरण के हिसाब से बांटा गया गया है। ग्रैप का चरण-1 उस वक्त लागू होता है, जब दिल्ली में AQI का स्तर 201-300 के बीच होता है। ग्रैप का दूसरा चरण उस परिस्थिति में प्रभावी होता है, जब राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 301-400 के बीच 'बहुत खराब' मापा जाता है। वहीं चरण-3 'गंभीर' वायु गुणवत्ता के बीच लागू किया जाता है और जब एक्यूआई 401-450 के बीच होता है। वहीं ग्रैप कार्य योजना का अंतिम और आखिरी चरण-4 'गंभीर +' वायु गुणवत्ता की परिस्थिति में लागू किया जाता है।