पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने एलान किया है कि पुस्ता सोनिया विहार में एलिवेटेड रोड का निर्माण होगा। नानकसर गुरुद्वारा से शनि मंदिर (यूपी बॉर्डर) तक 6 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड बनेगा। क्षेत्र में यातायात सुगम होगा, जाम की समस्या से निजात मिलेगी। विकास कार्यों को नई गति मिलेगी।
वायु प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराएगी सरकार
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने की दिशा में प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य को लेकर गुरुवार को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान संस्थान, पर्यावरण मंत्रालय, आईआईटी कानपुर, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने क्लाउड सीडिंग के माध्यम से आर्टिफिशियल रेन की संभावनाओं पर चर्चा की।
बैठक में आईआईटी कानपुर की टीम ने पूरी प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि इससे वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। आईआईटी कानपुर ने पहले भी क्लाउड सीडिंग में सफलता प्राप्त की है और बारिश कराने की इस तकनीक के पिछले सात में से छह प्रयोग सफल रहे हैं। बैठक में इस पहल को लागू करने के लिए जरूरी नियमों और अनुमतियों पर चर्चा हुई। अधिकारियों ने नियामक मंजूरी, उड़ान स्वीकृतियों और विभागों के बीच तालमेल पर विचार किया, ताकि यह योजना आसानी से लागू हो सके।
इस मौके पर सिरसा ने कहा कि सरकार वायु प्रदूषण के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ रही है। यह सिर्फ एक प्रयास नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण देने का हमारा कर्तव्य है।
दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार आधुनिक तकनीकों को अपना रही है। रियल टाइम एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग, स्मॉग टावर और पराली प्रबंधन के लिए बायो डीकंपोजर सहित अन्य पहल इसकी भविष्य की रणनीति का अहम हिस्सा हैं, जो स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पोर्टल करेगा निगरानी
अधिकारियों ने मंत्री को एक ऑनलाइन पोर्टल के बारे में जानकारी दी, जो निर्माण गतिविधियों से होने वाले डस्ट पॉल्यूशन को रोकने और 14 सूत्रीय कार्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इसके अलावा मंत्री ने निर्माण स्थलों पर सेल्फ ऑडिट और सेल्फ असेसमेंट को बढ़ावा देने, पीटीजेड कैमरों के साथ वीडियो फेंसिंग लगाने और पीएम 2.5 स्तर की निगरानी के लिए सेंसर लगाने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके नियमों का उल्लंघन करने पर पेनल्टी और चालान जारी किए जाएं। साथ ही 500 वर्ग गज से बड़े सभी निर्माण स्थलों पर अपनी डीपीसीसी का क्लीयरेंस स्टेटस स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।