नई दिल्ली। सर्दियों के मौसम के शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण फिर गंभीर रूप ले चुका है। दीपावली के अवसर पर हुए आतिशबाजी के बाद हवा में हानिकारक कणों की मात्रा तेजी से बढ़ी है, जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी, गले में खराश और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा कि जैसे-जैसे नवंबर का महीना बढ़ेगा, लोगों के फेफड़ों पर प्रदूषण का बोझ और बढ़ेगा। थरूर ने यह टिप्पणी छह नवंबर की सुबह के एक्यूआई (AQI) के आंकड़ों के संदर्भ में की।

स्वास्थ्य पर असर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार गुरुवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब और बेहद खराब श्रेणी में रहा। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के कारण अस्पतालों में ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, साइनसाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या में 20-25 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।

PGIMER के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने बताया कि मरीज साइनसाइटिस, नाक बहना, नाक से खून आना, आंखों का लाल होना, धुंधली नजर और आंखों से पानी आने की शिकायत लेकर आ रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, COPD और तपेदिक जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों से घर पर रहने की सलाह दी और कहा कि घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना जरूरी है।

प्रदूषण नियंत्रण में चुनौतियां
बीते ढाई हफ्तों से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार खराब रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालात को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की बजाय केवल आंकड़ों का खेल किया जा रहा है। एक्यूआई में थोड़ी गिरावट होने के बावजूद हवा अभी भी जहरीली है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है।