उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा को निलंबित कर दिया। यह आपराधिक मानहानि का मामला 2001 में विनय कुमार सक्सेना ने उनके खिलाफ दर्ज कराया था। 

न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर ने भोजनावकाश के बाद के सत्र में पाटकर की तरफ से तत्काल याचिका दायर किए जाने के बाद यह आदेश पारित किया। मेधा पाटकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख पेश हुए। सक्सेना का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता गजिंदर कुमार और किरण जय ने किया। 

सजा को निलंबित करते हुए, न्यायालय ने पाटकर को 25,000 रुपये का जमानत बांड भरने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई की तारीख 20 मई है। इससे पहले अदालत ने पाटकर को उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखने के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी थी। 

सक्सेना ने 23 साल पहले यह मामला दायर किया था, जब वह गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व कर रहे थे। पाटकर के वकील ने याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की मांग की। न्यायमूर्ति शालिन्दर कौर ने कहा कि प्रस्तुत दलीलों के मद्देनजर याचिका को कानून के अनुसार मांगी गई स्वतंत्रता के साथ वापस लेते हुए खारिज किया जाता है।