आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आतिशी ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता कर दिल्ली में प्रस्तावित निजी स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक को लेकर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक अभिभावकों की चिंता दूर करने की बजाय निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाया गया है।
‘स्कूलों को राहत देने के लिए लाया गया बिल’
आतिशी ने कहा कि अप्रैल में जब निजी स्कूलों द्वारा फीस में भारी बढ़ोतरी का विरोध हुआ, तो सरकार ने आश्वासन दिया था कि वह एक विधेयक लाएगी। लेकिन चार महीने बाद यह बिल लाया गया, वह भी बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के। उन्होंने सवाल उठाया कि इतना वक्त क्यों लगाया गया और इस दौरान अभिभावकों, शिक्षाविदों या विशेषज्ञों की कोई राय क्यों नहीं ली गई?
उनके अनुसार, यह विधेयक असल में स्कूलों को फीस बढ़ाने का कानूनी आधार देने और उनके खिलाफ की जा रही शिकायतों से उन्हें राहत दिलाने की दिशा में तैयार किया गया है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी विधायक राजकुमार भाटिया ने भी विधानसभा में अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार किया है।
सौरभ भारद्वाज ने भी जताई आपत्ति
आप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भी अभिभावकों के प्रदर्शन में शामिल होकर उनकी मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जिस कानून के जरिए निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण का दावा किया जा रहा है, उसमें न तो पारदर्शिता है और न ही जवाबदेही का कोई स्पष्ट प्रावधान।
उन्होंने बताया कि अभिभावकों ने विधानसभा परिसर के पास प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री आशीष सूद के इस्तीफे की मांग की और "शिक्षा है व्यापार नहीं", "स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी" जैसे नारे लगाए।
शिकायत के लिए 15% अभिभावकों की बाध्यता पर आपत्ति
सौरभ भारद्वाज ने इस बात पर भी चिंता जताई कि नए विधेयक में यदि किसी स्कूल के खिलाफ कोई अभिभावक शिकायत करना चाहता है तो उसके लिए कम से कम 15 प्रतिशत अभिभावकों का समर्थन जरूरी होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी स्कूल में 3000 छात्र पढ़ते हैं, तो 450 अभिभावकों के हस्ताक्षर के बिना शिकायत दर्ज नहीं हो सकती।
ऑडिट और पारदर्शिता की मांग
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब समिति के पास न तो चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और न ही स्कूलों के ऑडिटेड अकाउंट की जानकारी, तो वह किस आधार पर फीस निर्धारित करेगी? उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली के सभी 1677 निजी स्कूलों का हर साल स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए, ताकि अभिभावक जान सकें कि स्कूल को मुनाफा हो रहा है या नुकसान। इसी आधार पर फीस में समायोजन किया जा सकता है।
आप का संशोधन प्रस्ताव
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आम आदमी पार्टी ने इस बिल में कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिनमें 15 प्रतिशत अभिभावकों की बाध्यता को खत्म करना शामिल है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह निजी स्कूल प्रबंधन के हितों की रक्षा कर रही है।