दिल्ली में हुए कार धमाके में हसनपुर के खाद कारोबारी लोकेश अग्रवाल (52) और मंगरौला निवासी डीटीसी कंडक्टर अशोक कुमार (34) की जान चली गई। मंगलवार सुबह उनके शव उनके घर पहुंचे, तो परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। धमाका इतना भयानक था कि दोनों के शरीर गंभीर रूप से क्षत-विक्षत हो चुके थे और चेहरे पूरी तरह झुलस गए थे। शवों की हालत देखकर परिवारजन और रिश्तेदार चीख पड़े।

कारोबारी लोकेश के समधी, राजेश अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा मोबाइल पर भेजे गए फोटो से मृतकों की पहचान करना असंभव था। मोर्चरी में रखे शवों को देखकर ही उन्हें पहचान पाई गई। राजेश ने कहा कि शवों का केवल कुछ हिस्सा ही पहचान योग्य था, बाकी शरीर देखने लायक नहीं बचा था।

दोनों दोस्त बाइक पर आनंद विहार मेट्रो स्टेशन जा रहे थे, जहां से लोकेश हसनपुर के लिए बस पकड़ना था। इसी दौरान लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास अचानक कार में धमाका हुआ, जिसमें दोनों की मौत हो गई।

परिजन और ग्रामीण शवों के अंतिम संस्कार के दौरान गम और आक्रोश में दिखे। दोपहर में दोनों के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान अशोक के शव को सड़क किनारे रोककर कुछ ग्रामीणों ने शहीद का दर्जा और आर्थिक मदद की मांग भी की। एसडीएम पुष्करनाथ चौधरी और सीओ दीप कुमार पंत के आश्वासन के बाद प्रदर्शन शांत हुआ।

लोकेश के पीछे दो बेटे और एक बेटी हैं। मृतक अशोक के परिजन और समुदाय भी हादसे से सदमे में हैं। दिल्ली धमाके ने उनके परिवारों और स्थानीय लोगों को गहरे आघात में डाल दिया है।