हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। बुधवार सुबह 10 बजे तक राज्य में दो राष्ट्रीय राजमार्गों सहित कुल 385 सड़कें बाधित रहीं। इसके साथ ही 263 विद्युत ट्रांसफार्मर और 220 पेयजल योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। आपदा से सबसे अधिक मंडी जिला प्रभावित हुआ है, जहां 251 सड़कों के साथ 128 ट्रांसफार्मर और 62 जलापूर्ति योजनाएं बाधित पाई गईं। वहीं कुल्लू जिले में भी 78 सड़कें पूरी तरह ठप हैं।
बारिश का सिलसिला रहेगा जारी, कई जिलों में येलो अलर्ट
पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य के कई हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। मनाली में 57.0 मिमी, सराहन में 37.5 मिमी, घमरूर में 36.2 मिमी, नगरोटा सूरियां में 32.2 मिमी और बिलासपुर में 27.0 मिमी वर्षा हुई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक राज्य में 29 जुलाई तक वर्षा का क्रम जारी रहेगा। 24 और 25 जुलाई को कुछ क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश, जबकि 27 से 29 जुलाई के बीच कई जगहों पर भारी बारिश की चेतावनी के तहत येलो अलर्ट जारी किया गया है।
मानसून सीजन में अब तक 135 की मौत, हजारों मकान व पशुधन को नुकसान
20 जून से 22 जुलाई के बीच प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं में अब तक 135 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 224 लोग घायल हुए हैं और 34 अभी भी लापता हैं। इनमें से 59 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं। राज्य में इस दौरान 1471 मकानों व दुकानों को नुकसान पहुंचा है और 1037 गौशालाएं ध्वस्त हुई हैं। 1327 पालतू जानवरों की मृत्यु भी दर्ज की गई है। प्रारंभिक आकलन के अनुसार कुल क्षति का आंकड़ा ₹1,24,736.71 लाख तक पहुंच गया है। मौसम विभाग ने आने वाले तीन-चार दिनों में अधिकतम तापमान में 3-5 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी और उसके बाद उसी अनुपात में गिरावट की संभावना जताई है।
किन्नौर कैलाश यात्रा फिर शुरू, प्रशासन ने दिए दिशा-निर्देश
बेहतर मौसम और यात्रा मार्ग पर बहाली कार्य पूरा होने के बाद किन्नौर कैलाश यात्रा को बुधवार से पुनः आरंभ कर दिया गया है। भारी बारिश के कारण यह यात्रा कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई थी। मौसम खुलने के बाद श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दे दी गई है। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे सभी दिशा-निर्देशों और सुरक्षा उपायों का पालन करें।
पारला भुंतर में फोरलेन बना जलजमाव का कारण
कुल्लू के पारला भुंतर क्षेत्र में एनएचएआई द्वारा बनाए गए फोरलेन पर जलभराव की समस्या गंभीर हो गई है। जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से फोरलेन तालाब का रूप ले चुका है, जिससे स्थानीय निवासियों और वाहन चालकों को भारी असुविधा हो रही है।