हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। खासकर मंडी-धरमपुर खंड समेत राष्ट्रीय राजमार्ग-3 के कई हिस्सों सहित राज्यभर में कुल 245 सड़कें बाधित हुई हैं। मंडी जिले में ही 138 सड़कें भूस्खलन के चलते बंद पड़ी हैं।
बृहस्पतिवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बारिश के कारण बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेश में 192 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और करीब 740 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं। अकेले मंडी जिले में ही 124 ट्रांसफार्मर और 137 जल परियोजनाएं प्रभावित बताई गई हैं।
बादल फटने की कई घटनाएं, 15 की जान गई
30 जून और 1 जुलाई की दरम्यानी रात मंडी क्षेत्र में हुई भारी बारिश ने कहर बरपाया। इस दौरान करीब 10 जगहों पर बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। अब तक राज्यभर में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की वजह से कम से कम 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
भारी बारिश वाले इलाके
राज्य में सबसे अधिक वर्षा सिरमौर के धौलाकुआं में दर्ज की गई, जहां 168.5 मिलीमीटर वर्षा हुई। इसके अलावा बिलासपुर में 120.4 मिमी, मनाली में 46 मिमी, नगरोटा सूरियां में 42.4 मिमी, पांवटा साहिब में 38.4 मिमी, सुजानपुर टिहरा में 37.5 मिमी, नाहन और जटोन बैराज में करीब 35 मिमी और गुलेर में 32.8 मिमी बारिश हुई।
येलो अलर्ट जारी, बाढ़ का खतरा
मौसम विभाग ने चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला और सिरमौर जिलों के कुछ क्षेत्रों में आगामी दिनों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग ने इन जिलों के कुछ हिस्सों में बाढ़ की संभावना जताई है और सतर्कता बरतने की अपील की है।
30% अधिक बारिश, 85 की मौत
मानसून की शुरुआत 20 जून को हुई और तब से राज्य में औसत से 30 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। इस दौरान प्रदेश में बादल फटने की 22, बाढ़ की 31 और भूस्खलन की 17 घटनाएं हुई हैं। कुल 85 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 54 की मौत बारिश जनित घटनाओं में और 31 की सड़क दुर्घटनाओं में हुई। अब तक 129 लोग घायल हुए हैं और 34 लापता बताए जा रहे हैं।
सरकारी अनुमान के मुताबिक, अब तक प्रदेश को इस प्राकृतिक आपदा से करीब 740 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है।