जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग की बहाली में अभी और समय लग सकता है। एनएच-44 का लगभग 200 मीटर हिस्सा दलदल में बदल गया है। स्थिति यह है कि जेसीबी मशीनें भी वहां धंस रही हैं और खुदाई शुरू होते ही पानी के साथ कीचड़ रिसने लगता है। शुक्रवार को मौसम साफ रहने के बावजूद हालात सामान्य नहीं हो पाए। 2 सितंबर से हाईवे पर फंसे वाहनों को अब तक राहत नहीं मिल सकी है। घाटी तक रसद न पहुंचने से संकट और गहरा सकता है।

क्षतिग्रस्त हिस्से में लगातार मिट्टी और पानी का रिसाव हो रहा है। अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने फोर-लेन की मरम्मत के लिए विशेषज्ञों और भूवैज्ञानिकों की राय लेने का फैसला किया है। 2 सितंबर को उधमपुर-रामबन के बीच थर्ड क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके बाद से यह मार्ग बाधित है। आपूर्ति ठप होने से जम्मू और श्रीनगर के बीच सप्लाई चेन पूरी तरह टूट गई है।

एनएचएआई की ओर से लगातार बहाली के प्रयास जारी हैं, लेकिन दलदल की वजह से काम रुक-रुककर हो रहा है। शुक्रवार को भी पहाड़ से पानी का रिसाव जारी रहा, जिससे मरम्मत कार्य में दिक्कतें बढ़ गईं। साथ ही, भूस्खलन की आशंका के चलते रात में कर्मचारी और इंजीनियर तैनात नहीं किए जा पा रहे हैं।

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी आर.एस. यादव ने बताया कि हाईवे को जल्द बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं। फिलहाल दलदल के कारण स्थिति चुनौतीपूर्ण है। पानी का रिसाव बंद होने के बाद ही यहां खुदाई और मरम्मत कार्य संभव हो पाएगा।