विदेशों में फिर महकेगी अमृतसर की “ऑर्गेनिक बासमती”, पहली बार 365 किसान मित्र तैनात

पंजाब की बासमती अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना खोया प्रभुत्व फिर से हासिल करेगी। इसकी महक विदेशों तक पहुंचेगी। कृषि विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत अमृतसर के चौगावां ब्लॉक में एक्सपोर्ट क्वालिटी की ऑर्गेनिक बासमती पैदा करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। 

इसके अंतर्गत पिछले वर्ष की तुलना में 73 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ाया गया है। पिछले साल जिले में एक लाख आठ हजार हेक्टेयर भूमि पर बासमती की खेती की गई थी। इस बार जिले में एक लाख 81 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा पहली बार 365 किसान मित्र तैनात किए गए हैं, जो किसानों को कीटनाशकों के इस्तेमाल के बिना ऑर्गेनिक बासमती की बढ़िया पैदावार के तरीके बताएंगे। 

इस प्रोजेक्ट के अधीन अमृतसर को एक्सपोर्ट जोन के तौर पर विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। इस जोन में बासमती की उन किस्मों की पैदावार होगी, जिनकी विदेशों, खासकर अरब देशों में ज्यादा मांग है। यहां पैदा की जाने वाली बासमती में रासायनिक खाद, कीटनाशकों का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय मंडी में क्वालिटी चैक के दौरान सैंपल फेल न हो जाए। तरनतारन में कीटनाशक तत्वों के टेस्ट के लिए लैबोरेटरी स्थापित होगी, जो अगले वर्ष से काम शुरू कर देगी।

दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण
किसानों को प्रेरित करने के लिए 365 किसान मित्र तैनात किए गए हैं, जो किसानों को कम लागत में ज्यादा पैदावार लेने के तरीके बताएंगे। अभी इनका प्रशिक्षण चल रहा है। यह आगे उन किसानों को प्रशिक्षण देंगे, जिनके गांव में कम से कम 100 हेक्टेयर रकबे में बासमती की खेती हो रही है। अमृतसर और आसपास का क्षेत्र बासमती के लिए विश्व प्रसिद्ध है, इसलिए इस प्रोजेक्ट की शुरुआत यहीं से की गई है। पिछले साल किसानों को बासमती का अच्छा भाव मिल था। उन्हें प्रति क्विंटल 3500 से 4200 रुपये प्राप्त हुए। इससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हुआ। 

2018 में वापस आ गए थे 100 कंटेनर
2018 में भारतीय बासमती एक्सपोर्ट को उस समय धक्का लगा, जब यूरोपियन यूनियन के देशों ने बासमती के 100 कंटेनर वापस कर दिए थे। बासमती की यह खेप टेस्टिंग के दौरान इनके सैंपल फेल हो गए थे। बासमती में फफूंदनाशी व कीटनाशक के तत्व पाए गए थे। इसके बाद बासमती एक्सपोर्टर्स ने अमृतसर, गुरदासपुर और तरनतारन में किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान लगातार चलाया था, जिसके अब अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।

पानी का कम इस्तेमाल
बासमती की खेती में पानी का उपयोग धान की अन्य किस्मों के मुकाबले काफी कम होता है। किसानों को बासमती की 1121, 1509, पूसा 1718, पूसा 1619 किस्में बीजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसान मित्र 20 मई से फील्ड में काम शुरू कर देंगे। ये जिले के 776 गांवों को कवर करेंगे। एक किसान मित्र के जिम्मे दो गांव रहेंगे।

पंजाब से हर वर्ष 23 से 24 लाख टन बासमती होती है एक्सपोर्ट
पंजाब से हर वर्ष 23 से 24 लाख टन बासमती विदेशों को एक्सपोर्ट होती है। पंजाब की 1121 व 1718 किस्म की बासमती की सबसे अधिक मांग है। सबसे बढ़िया उपज माझा क्षेत्र में होती है। बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता अशोक सेठी कहते हैं कि भारत से सबसे अधिक बासमती सऊदी अरब खरीदता है। ईरान भी हर वर्ष 14 लाख टन बासमती खरीदता है। इसी तरह दुबई, सीरिया, कुवैत, नार्वे, स्वीडन, इंग्लैंड, फिनलैंड और नॉर्थ अमेरिकी देशों को भी भारतीय बासमती एक्सपोर्ट होती है। 

कोटहाल ही में ब्लॉक हर्षाछीना और अजनाला में किसान मित्रों के संयुक्त प्रशिक्षण कैंप में 110 किसान मित्र शामिल हुए। आगे 2-3 कैंप और लगेंगे। कैंप में इनको बताया गया कि उनका काम पनीरी डालने से लेकर काश्त करने, रखरखाव, कीटनाशकों, खादों के इस्तेमाल तक की जानकारी देना और किसानों को बासमती बीजने के लिए प्रेरित करना है।

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