उत्तर प्रदेश में राशन वितरण व्यवस्था की समीक्षा के दौरान बड़ी अनियमितताएं उजागर हुई हैं। आयकर विभाग के डाटा से मिलान के बाद राज्य में 5 लाख से अधिक राशन कार्डधारक अपात्र पाए गए हैं। खाद्य एवं रसद विभाग की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुल 16.92 लाख कार्डधारकों को संदिग्ध श्रेणी में चिह्नित किया गया था, जिनमें से 9.10 लाख से अधिक की जांच पूरी की जा चुकी है।
किसे मिलता है सरकारी राशन का लाभ?
अंत्योदय तथा पात्र गृहस्थी योजनाओं के नियमों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में तीन लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपये से ऊपर आय वाले परिवार योजना के पात्र नहीं हैं। इसी आधार पर राशन कार्डधारकों के स्वयं-दर्ज आंकड़ों का केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के डाटा से मिलान किया गया।
जांच में सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 9.23 लाख से अधिक कार्डधारकों की आय दो लाख रुपये से ऊपर है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 7.69 लाख से ज्यादा परिवारों की वार्षिक आय तीन लाख रुपये से अधिक पाई गई। पूर्ति निरीक्षकों को सौंपे गए इस डाटा की प्राथमिक जांच में 9.10 लाख व्यक्तियों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 5,03,088 कार्डधारक योजना की शर्तें पूरी नहीं करते निकले। यानी, अब तक जांचे गए मामलों में लगभग 55% लोग सरकारी पात्रता मानकों पर खरे नहीं उतरते।
सूत्रों के अनुसार, अपात्र पाए गए कार्डधारकों के नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यदि शेष डाटा की जांच में भी इसी अनुपात में अपात्र मिलते हैं, तो राज्यभर में सवा नौ लाख से अधिक राशन कार्ड रद्द किए जाने की संभावना है।