देवबंद (सहारनपुर)। देशभर में इस्लामी शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में शुमार दारुल उलूम देवबंद ने एक बार फिर महिलाओं के परिसर में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। मंगलवार को संस्था के मुख्य द्वार पर लगाए गए बैरिकेड्स पर स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए, जिनमें महिलाओं का प्रवेश निषिद्ध बताया गया है।

इन निर्देशों के अनुसार, अब संस्थान परिसर में किसी भी प्रकार की वीडियो रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी भी प्रतिबंधित रहेगी। इसके अलावा, परिसर में गुटखा, तंबाकू, अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन या प्रवेश, और फूल-पौधों को छूने या तोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि सूर्यास्त से पहले सभी आगंतुकों को परिसर खाली करना होगा।

महिला दर्शकों को फिर झटका

दारुल उलूम की ऐतिहासिक इमारत, प्रसिद्ध मस्जिद रशीदिया और गोलाकार पुस्तकालय को देखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में महिलाएं यहां आती रही हैं। लेकिन ताजा प्रतिबंध के चलते अब उन्हें मायूसी का सामना करना पड़ेगा।

पहले भी लग चुका है प्रतिबंध

पिछले वर्ष 17 मई 2024 को भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। हालांकि करीब छह महीने बाद कुछ शर्तों के साथ विज़िटर पास प्रणाली शुरू की गई थी, जिसमें प्रवेश करने वाली महिलाओं का पंजीकरण आवश्यक था। लेकिन नियमों के पालन में ढिलाई और सोशल मीडिया पर गतिविधियों के कारण अब प्रबंधन ने पुनः महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी है।

क्या बोले प्रबंधन?

दारुल उलूम के प्रभारी मोहतमिम मौलाना मुफ्ती रिहान कासमी ने बताया कि, “संस्था में आई महिलाएं और युवतियां वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही थीं, जिससे पर्दादारी की भावना और संस्था की गरिमा को ठेस पहुंच रही थी। इससे छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी। पूर्व में कुछ शर्तों के साथ प्रवेश की अनुमति दी गई थी, लेकिन शर्तों का पालन नहीं होने पर यह निर्णय लिया गया है कि फिलहाल महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।”