FY26 में 6.5% विकास दर संभव, महंगाई और मानसून बनेंगे सहारा: ईएसी-पीएम प्रमुख

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष एस. महेंद्र देव ने अनुमान जताया है कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों और व्यापारिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.5% की दर से बढ़ने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि कम मुद्रास्फीति, अनुकूल मानसून, और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में की गई कटौतियों के चलते देश के भीतर आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

वैश्विक जोखिमों के बावजूद भारत में विकास की संभावना

देव ने स्पष्ट किया कि वर्तमान वैश्विक परिवेश में भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन फिर भी देश की अर्थव्यवस्था लचीली और तेजी से आगे बढ़ती बनी हुई है। 2025-26 के शुरुआती महीनों के उच्च आवृत्ति संकेतकों से संकेत मिलता है कि घरेलू अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन मजबूत रहेगा।

आईएमएफ और विश्व बैंक की अपेक्षाएं थोड़ी कम

जहां ईएसी-पीएम प्रमुख भारत की जीडीपी वृद्धि को 6.5% मानते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने 2025-26 के लिए यह अनुमान क्रमशः 6.2% और 6.3% पर रखा है, जिसे उन्होंने वैश्विक व्यापारिक तनावों का प्रभाव बताया है।

मुद्रास्फीति नियंत्रण में, निवेश को मिलेगा बल

महेंद्र देव के अनुसार, कम खाद्य मुद्रास्फीति और स्थिर कच्चे तेल की कीमतों से उपभोग और निवेश को बल मिलेगा। उन्होंने बताया कि जून 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 2.10% और खाद्य मुद्रास्फीति -1.06% रही, जो पिछले वर्षों के मुकाबले बेहद कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 में औसत मुद्रास्फीति को 3.7% पर रहने का अनुमान जताया है।

एफडीआई प्रवाह में सुधार

देव ने कहा कि भारत में 2025 में एफडीआई प्रवाह में 14% की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि शुद्ध एफडीआई प्रवाह में कुछ गिरावट आई है, लेकिन अनिवासी जमा और बाहरी वाणिज्यिक उधारी में उल्लेखनीय शुद्ध प्रवाह देखने को मिला है, जो भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।

सरकारी पूंजीगत व्यय से बढ़ेगा निजी निवेश

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों में निवेश जैसे सरकारी पूंजीगत व्यय से निजी निवेश को भी प्रेरणा मिली है। राज्य सरकारें भी निवेश के लिए माहौल बना रही हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र की बैलेंस शीट सुधरी है, नकदी प्रवाह बढ़ा है और कई कंपनियां ऋणमुक्त हुई हैं। इससे भविष्य में निवेश में तेजी की संभावना जताई गई है।

वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण निजी निवेश पर असर

हालांकि, कुछ कंपनियां अभी भी वैश्विक अनिश्चितताओं और अतिरिक्त उत्पादन क्षमताओं के चलते बड़े पूंजी निवेश से बच रही हैं। देव ने कहा कि जैसे ही घरेलू मांग में सुधार और वैश्विक स्थिरता बढ़ेगी, निजी निवेश में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

व्यापार सुगमता पर और ज़ोर जरूरी

देव ने 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि नियामकीय जटिलताओं को कम करने और अनुपालन के बोझ को घटाने की दिशा में राज्य स्तर पर और प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि भारत में निवेश और व्यापार की सुगमता को और बेहतर किया जा सके।

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