म्यूचुअल फंड में डिविडेंड का असर: जानिए पूरी सच्चाई

क्या आपने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद अपने खाते में अचानक कुछ पैसे आते देखे हैं और सोचा है कि ये किस बात का इनाम है? दरअसल, यही डिविडेंड होता है। लेकिन ये पैसा आता कहां से है? क्या हर म्यूचुअल फंड डिविडेंड देता है? और क्या इसे मुनाफा मान सकते हैं? अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं, तो यह समझना ज़रूरी है।

डिविडेंड का स्रोत क्या है?

म्यूचुअल फंड विभिन्न निवेशकों से पैसे जुटाते हैं और उन्हें शेयर, बॉन्ड या रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) में लगाते हैं। इन निवेशों से जो कमाई होती है—जैसे शेयर से लाभांश (डिविडेंड), बॉन्ड से ब्याज या प्रॉपर्टी से किराया—वह फंड के खाते में जाती है। यदि किसी निवेश को लाभ में बेच दिया जाए, तो उसे कैपिटल गेन कहा जाता है। यह सारी आय मिलाकर म्यूचुअल फंड की कुल आमदनी बनती है।

इसके बाद, फंड मैनेजर यह तय करते हैं कि इस आमदनी में से कितना हिस्सा निवेशकों को डिविडेंड के रूप में दिया जाए और कब दिया जाए।

क्या हर म्यूचुअल फंड डिविडेंड देता है?

नहीं, हर फंड ऐसा नहीं करता। दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

  • ग्रोथ फंड: ये फंड लाभ को फंड में ही दोबारा निवेश कर देते हैं ताकि लंबी अवधि में पूंजी बढ़े।
  • इनकम फंड: ये नियमित अंतराल (मासिक या तिमाही) पर निवेशकों को आमदनी देने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी प्रति तिमाही ₹2 प्रति शेयर डिविडेंड देती है और किसी फंड के पास उस कंपनी के 10,000 शेयर हैं, तो उसे ₹20,000 की आय होगी।

डिविडेंड से पहले खर्च घटाया जाता है

म्यूचुअल फंड को चलाने में कुछ लागत आती है जैसे मैनेजमेंट फीस, प्रशासनिक खर्च आदि—इन्हें मिलाकर एक्सपेंस रेशियो कहा जाता है। इन खर्चों को कम करने के बाद जो राशि बचती है, वही डिविडेंड के रूप में बांटी जाती है।

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी फंड ने साल में ₹1 करोड़ की कमाई की और ₹10 लाख खर्च हुए, तो ₹90 लाख डिविडेंड देने के लिए उपलब्ध होंगे।

डिविडेंड का बंटवारा कैसे होता है?

जितना भी डिविडेंड घोषित किया जाता है, उसे निवेशकों के यूनिट्स के अनुपात में बांटा जाता है। अगर आपके पास कुल 1 लाख यूनिट्स में से 1,000 यूनिट्स हैं, तो आप कुल डिविडेंड का 1% पाने के हकदार होंगे।

आपको डिविडेंड दो रूपों में मिल सकता है:

  1. कैश: सीधे बैंक खाते में।
  2. रीइनवेस्टमेंट: उस रकम से नई यूनिट्स खरीद ली जाती हैं (यदि आपने यह विकल्प चुना हो)।

क्या डिविडेंड मिलने से NAV घटती है?

हां। जब डिविडेंड दिया जाता है, तो उस अनुपात में फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी फंड की NAV ₹50 है और ₹2 का डिविडेंड घोषित किया गया, तो नई NAV ₹48 होगी। बार-बार डिविडेंड निकालने से फंड की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है, क्योंकि वह रकम फंड में दोबारा नहीं लगाई जाती।

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