आरबीआई बोली- 2000 के 76% नोट बैंकों में लौटे, वहीं नोट वापस लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका खारिज

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मई में उच्च मूल्य के नोटों को प्रचलन से वापस लेने के फैसले के बाद से 200 रुपये के लगभग 76 प्रतिशत बैंक नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं। 19 मई 2023 को कारोबार बंद होने तक जब आरबीआई ने 2000 नोटों को वापस लेने का फैसला किया उस समय प्रचलन मौजूद 2000 रुपये के बैंक नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। आरबीआई ने सोमवार को कहा कि 19 मई के बाद अब तक 2.72 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में वापस आ गए हैं। फिलहाल 0.84 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट प्रचलन में हैं।

आरबीआई के फैसले के खिलाफ याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया जिसमें 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। आरबीआई के 19 मई के फैसले को चुनौती देने वाली यह इस तरह की दूसरी जनहित याचिका है।

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज करने का फैसला किया। आरबीआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि 2000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे। इसी पीठ ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उच्चतम मूल्य के नोटों को चलन से वापस लिए जाने के बाद बिना किसी पहचान प्रमाण के 2000 रुपये के नोटों को बदलने की अनुमति को चुनौती दी गई थी।

याचिका में दी गई थी ये दलील

याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट से आरबीआई और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को जनता के लिए एक अधिसूचना/परिपत्र जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि वर्तमान में प्रचलन में प्रत्येक मूल्यवर्ग के बैंक नोट के अनुमानित जीवन काल को स्पष्ट किया जाए और स्वच्छ नोट नीति के तहत आरबीआई की ओर से भविष्य में प्रचलन से वापस लिए जाने का अनुमानित समय/वर्ष भी स्पष्ट किया जाए।

याचिकाकर्ता रजनीश भास्कर गुप्ता ने दलील दी थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत आरबीआई के पास किसी भी मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को जारी न करने या बंद करने का निर्देश देने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और उक्त शक्ति केवल आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 24 (2) के तहत केंद्र सरकार के पास निहित है।

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