गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर राजनीतिक, अराजनीतिक, आन्दोलनकारी, अआंदोलनकारी, सभी किसान संगठनों के नेता, छोटे-बड़े किसान प्रतीक्षा में थे। सड़कों पर प्रदर्शन करने, कचहरी में गन्ने की होली जलाने और शिवमूर्ति पर मनुहार लगाने के बाद, एसएमपी में 20 रुपये क्विंटल की वृद्धि की घोषणा गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने की है। सभी प्रजातियों के गन्ना मूल्य में महज 20 रुपये की वृद्धि से गन्ना उत्पादकों को निराशा हुई है। गन्ना मंत्री कहते हैं कि राज्य के 45 लाख गन्ना उत्पादकों को 2200 करोड़ रुपये ज्यादा मिलेंगे लेकिन आम किसान कह‌ता है कि यह रेट नाका‌फ़ी है क्यूँ कि गन्ना उत्पादन की लागत दोगुनी हो चुकी है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा सरकारें जब अधिक मूल्य दिलाती हैं तो उत्तरप्रदेश सरकार कम न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यूँ निर्धारित करती है ?

गन्ना, चीनी, गुड़ व खांडसारी बहुत दिनों पहले से राजनीति से जुड़ गए हैं। 15-20 दिन पहले किसानों के पैरोकार हरियाणा, पंजाब के एमएसपी जितना मूल्य मांगते थे। पंजाब में 16 व हरियाणा में 14 चीनी मिलें हैं। हरियाणा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 372 से बढ़ाकर 386 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। पंजाब में भगवन्त सिंह मान ने समर्थन मूल्य 391 रुपये कर दिया लेकिन इसे कम बता कर किसानों ने मुख्यमंत्री के जिले के चीनी मिल बंद करा दी। जो किसान नेता पंजाब व हरियाणा, की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग रहे थे, वे अब 450 रुपये क्विंटल का रेट मांगने लगे हैं। एक किसान नेता ने तो 700 रुपये क्विंटल की मांग कर दी।

महाराष्ट्र में 191 चीनी मिलें हैं जिनमें 93 चीनी मिलों का परिचालन किसान खुद करते हैं यानी ये चीनी मिलें किसानों की खुद की हैं जिनके वे शेयर होल्डर हैं और 98 चीनी मिलें निजी क्षेत्र में हैं। वहां गन्ने का न्यूनतम मूल्य 400 रुपये प्रति क्विंटल है लेकिन महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादकों को इससे संतोष नहीं, वे गन्ना मूल्य बढ़ाने के लिए आंदोलनरत हैं। उत्तरप्रदेश में नया गन्ना मूल्य घोषित होते ही किसान नेता और विरोध की राजनीति चलाने वाले राजनीतिज्ञ मुखर हो गए हैं, उन्हें अब 450 रुपये से अधिक रेट की दरकार है।

गन्ने की राजनीति चलाने वालों को उपभोगताओं के हितों पर भी विचार करना चाहिए। वास्तविकता यह है कि गन्ना, चीनी, गुड़, खांडसारी तथा चीनी मिल, केन क्रेशर व कोल्हुओं व किसानों एवं उपभोगताओं को लेकर किसी भी सरकार ने ईमानदारी से काम नहीं लिया। शासन का कार्य सभी वर्गों का हित करना है। आज चीनी मूल्य, चीनी नीति व गुड़-खांडसारी उद्योग सम्बन्धी नई व निष्पक्ष और सर्वहितकारी निर्णय लेने की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह गन्ने की बिजाई से पूर्व न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करे, सट्टा नीति भी समय से घोषित की जाए। गुड़ व खांडसारी जैसे कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने की लाभकारी नीति निर्धारित हो। इस सबके दायरे में उपभोगता के हितों को भी सुरक्षित रखा जाये। गन्ना मूल्य का भुगतान निश्चित रूप से 14 दिनों के भीतर हो, उल्लंघन होने पर किसान को अदालत द्वारा निर्धारित ब्याज भी दिया जाये।

गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'