कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को अंग्रेज़ी भाषा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से अपने विचार साझा करते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल नहीं चाहता कि देश का गरीब वर्ग अंग्रेज़ी सीखे, ताकि वह सवाल पूछने और आगे बढ़ने की क्षमता न विकसित कर सके।
राहुल गांधी ने अंग्रेज़ी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “अंग्रेज़ी कोई दीवार नहीं, बल्कि एक सेतु है। यह शर्म की नहीं, शक्ति की भाषा है। यह कोई बेड़ी नहीं, बल्कि बेड़ियों को तोड़ने का माध्यम है।”
अंग्रेज़ी से आत्मविश्वास और अवसर दोनों बढ़ते हैं
अपने बयान में कांग्रेस नेता ने इस बात पर बल दिया कि आज के वैश्विक युग में अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी है जितनी किसी व्यक्ति की मातृभाषा। यह न केवल रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती है, बल्कि आत्मविश्वास भी देती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय भाषाओं की समृद्ध विरासत और विविधता को संरक्षित करना भी उतना ही आवश्यक है, लेकिन अंग्रेज़ी सीखने का समान अवसर हर बच्चे को मिलना चाहिए।
गरीब बच्चों को समान शैक्षिक मंच की जरूरत
राहुल गांधी का मानना है कि अंग्रेज़ी से वंचित करना दरअसल गरीब तबके को आगे बढ़ने से रोकने जैसा है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रत्येक भाषा अपने भीतर संस्कृति और ज्ञान का खज़ाना समेटे हुए है, लेकिन देश के भविष्य निर्माण के लिए यह ज़रूरी है कि गरीब और पिछड़े तबकों को भी वही शैक्षिक और भाषाई संसाधन मिलें जो समाज के संपन्न वर्गों को उपलब्ध हैं।
शिक्षा और भाषा पर राजनीति तेज़
कांग्रेस नेता के इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल है। विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान भाजपा और आरएसएस की भाषा और शिक्षा नीति पर सीधा सवाल खड़ा करता है। कांग्रेस पहले भी यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार की नीतियां सामाजिक समानता की दिशा में अवरोध पैदा कर रही हैं।
राहुल गांधी के बयान के साथ एक वीडियो भी साझा किया गया है, जिसमें उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर परोक्ष रूप से यह आरोप लगाया कि वे गरीबों को अवसरों से वंचित रखना चाहते हैं, ताकि वे सत्ता से सवाल न कर सकें।