कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा नीतियों से बड़े कॉरपोरेट समूहों को बढ़ावा मिल रहा है, जबकि छोटे और मझोले कारोबार जटिल नियमों, नौकरशाही और अव्यावहारिक कर व्यवस्था के दबाव में कमजोर होते जा रहे हैं। उनका कहना है कि गलत तरीके से लागू की गई जीएसटी प्रणाली ने व्यापार जगत पर भारी बोझ डाला है और देश की उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।

राहुल गांधी यह बात वैश्य समाज के प्रतिनिधियों के साथ हुए एक विस्तृत व्यापार संवाद के बाद कही। इस बैठक में जूता उद्योग, कृषि उत्पाद, इलेक्ट्रिकल्स, कागज-स्टेशनरी, ट्रैवल, केमिकल, हार्डवेयर और पत्थर उद्योग से जुड़े कारोबारी शामिल हुए। व्यापारियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मौजूदा हालात में कई छोटे उद्योग बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। गांधी ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि जो वर्ग वर्षों से रोजगार सृजन करता आया है, वही आज असुरक्षा और निराशा का सामना कर रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां कुछ चुनिंदा बड़े घरानों के इर्द-गिर्द सिमटती जा रही हैं। उनके अनुसार, एकाधिकार और सीमित प्रतिस्पर्धा पर आधारित आर्थिक मॉडल से न केवल छोटे कारोबार प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि रोजगार और उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। गांधी ने कहा कि छोटे व्यापारी देश की आर्थिक रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें नियमों और प्रशासनिक जटिलताओं में उलझा दिया गया है।

जीएसटी व्यवस्था को लेकर भी संवाद में गंभीर सवाल उठे। व्यापारियों ने कहा कि कर ढांचे में बार-बार बदलाव और अव्यवस्थित स्लैब एमएसएमई के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। राहुल गांधी ने दोहराया कि मौजूदा जीएसटी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, ताकि छोटे उद्योगों को राहत मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे माल और तैयार उत्पादों पर कर संरचना का असंतुलन छोटे कारोबारों को नुकसान पहुंचा रहा है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ के दावे पर भी संवाद में चर्चा हुई। व्यापारियों का कहना था कि नीतिगत कमजोरियों के कारण देश की निर्भरता आयात पर बढ़ रही है। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि रोजगार और आत्मनिर्भरता तभी संभव है, जब उत्पादन बढ़े और एमएसएमई क्षेत्र को मजबूती दी जाए।

संवाद के अंत में व्यापारियों ने राहुल गांधी के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात ने उन्हें नीति सुधार की जरूरत का एहसास कराया है। राहुल गांधी के इन बयानों के बाद केंद्र की आर्थिक नीतियों को लेकर राजनीतिक बहस और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।