नई दिल्ली। अरावली पर्वतमाला को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर पूरी तरह रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप अरावली के संरक्षण और टिकाऊ खनन को लेकर स्पष्ट नीति और क्षेत्र निर्धारण नहीं हो जाता।
केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बुधवार को हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर यह निर्देश जारी किया। मंत्रालय ने साफ किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित नीति के तहत जब तक अरावली रेंज में संरक्षण और खनन के लिए नए क्षेत्रों की वैज्ञानिक पहचान नहीं हो जाती, तब तक किसी भी नए खनन पट्टे की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मौजूदा खदानों पर भी कड़ी नजर
मंत्रालय ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि फिलहाल संचालित खदानों की निगरानी और सख्त की जाए। राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि सभी मौजूदा खनन गतिविधियां पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के दायरे में ही हों।
केंद्र पर लगे आरोपों के बीच फैसला
यह निर्देश ऐसे समय आया है, जब अरावली की नई परिभाषा को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे थे कि इसके जरिए पर्वतमाला के बड़े हिस्से में खनन का रास्ता खोला जा रहा है। मंत्रालय का यह कदम इन आरोपों के बीच काफी अहम माना जा रहा है।
कब खुलेगा खनन का रास्ता?
केंद्र ने स्पष्ट किया है कि अरावली रेंज में भविष्य में तभी नए खनन की अनुमति दी जाएगी, जब क्षेत्र के लिए वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया ‘मैनेजमेंट प्लान फॉर सस्टेनेबल माइनिंग’ (MPSM) लागू हो जाएगा। इस योजना में संरक्षित क्षेत्रों के साथ-साथ संभावित खनन योग्य इलाकों की भी पहचान की जाएगी।
इस संबंध में मंत्रालय के सहायक आयुक्त जितेश कुमार ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) के महानिदेशक को भी पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत जल्द से जल्द यह मैनेजमेंट प्लान तैयार करने को कहा है।
एकरूप नियम बनाने की तैयारी
गौरतलब है कि अरावली रेंज से जुड़े राज्यों में फिलहाल खनन को लेकर अलग-अलग नियम लागू हैं। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सभी राज्यों के लिए समान नियम तय करने हेतु एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया था। केंद्र सरकार अब उसी दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है।