ईयू के रूस पर नए प्रतिबंधों पर भारत ने जताई असहमति, ऊर्जा सुरक्षा को बताया प्राथमिकता

नई दिल्ली/ब्रसेल्स: यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई को लेकर यूरोपीय संघ ने शुक्रवार को रूस के खिलाफ 18वें चरण के आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की। इसके कुछ ही समय बाद भारत ने स्पष्ट किया कि वह इस तरह के एकतरफा प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करता और ऊर्जा व्यापार जैसे मामलों में निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत ने यूरोपीय संघ के ताजा प्रतिबंधों का संज्ञान लिया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र है, जो अपने सभी वैधानिक दायित्वों को निभाता है, लेकिन वह किसी भी प्रकार के “एकतरफा प्रतिबंधों” को मान्यता नहीं देता। जायसवाल ने यह भी कहा कि देश की ऊर्जा जरूरतें भारत की प्राथमिकता हैं, ताकि नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। ऐसे में, विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र में दोहरे मापदंड नहीं अपनाए जाने चाहिए।

यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों की रूपरेखा

यूरोपीय संघ द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, 18वें दौर के प्रतिबंध पांच अहम बिंदुओं पर केंद्रित हैं:

  1. रूस की ऊर्जा आय को सीमित करना
  2. बैंकिंग प्रणाली को प्रभावित करना
  3. सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना
  4. प्रतिबंधों से बचाव के उपायों को रोकना
  5. यूक्रेनी बच्चों और सांस्कृतिक धरोहर के खिलाफ अपराधों के लिए रूस को उत्तरदायी ठहराना

ईयू के मुताबिक, रूस के ‘शैडो फ्लीट’ (गुप्त तेल टैंकरों) की संख्या अब 444 तक पहुंच चुकी है। कुल मिलाकर 2,500 से अधिक व्यक्तियों और संस्थाओं को प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया है। इस बार बेलारूस पर भी नई आर्थिक पाबंदियां लागू की गई हैं।

भारत ने तेल आपूर्ति के विकल्प बढ़ाए: हरदीप पुरी

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि भारत ने कच्चे तेल की आपूर्ति को लेकर अपने विकल्पों को काफी हद तक विविध किया है। ‘ऊर्जा वार्ता 2025’ कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि भारत अब लगभग 40 देशों से तेल खरीदता है, जबकि 2007 में यह संख्या सिर्फ 27 थी।

पुरी ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर फिलहाल कच्चे तेल की आपूर्ति पर्याप्त है, और भारत को अमेरिका या किसी अन्य देश की रूस पर कार्रवाई को लेकर तत्काल कोई चिंता नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि ईरान और वेनेजुएला पर प्रतिबंध हैं तो क्या वे स्थायी रहेंगे? उन्होंने ब्राजील, कनाडा जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये देश अपने उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं।

अमेरिकी चेतावनी और रूस की प्रतिक्रिया

इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि रूस ने 50 दिनों के भीतर यूक्रेन के साथ कोई समझौता नहीं किया, तो अमेरिका उस पर कड़े व्यापारिक प्रतिबंध लगाएगा। साथ ही भारत और चीन जैसे देशों पर भी, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं, द्वितीयक प्रतिबंध (सेकंडरी सैंक्शंस) लगाए जा सकते हैं।

दूसरी ओर, मास्को ने यूरोपीय संघ के ताजा प्रतिबंधों को अवैध बताया है। क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने सरकारी समाचार एजेंसी ‘TASS’ से कहा कि रूस इस तरह की इकतरफा कार्रवाइयों को अस्वीकार करता है और इनका गहराई से अध्ययन कर उनके प्रभाव को न्यूनतम करने की दिशा में काम करेगा। पेस्कोव ने यह भी जोड़ा कि रूस ने समय के साथ पश्चिमी प्रतिबंधों के खिलाफ अपनी प्रणाली को मजबूत किया है और अब इस तरह की चुनौतियों के साथ जीने की आदत डाल ली है।

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