बुधवार को लोकसभा में विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक 2025 को पारित करने की बजाय संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाए, ताकि इन विधेयकों पर व्यापक विचार-विमर्श हो सके।
“खेल क्षेत्र में बड़े बदलावों से पहले सभी पक्षों की राय जरूरी” — विपक्ष
विपक्षी दलों ने अपने पत्र में कहा है कि ये दोनों विधेयक भारत में खेलों के संचालन और एंटी-डोपिंग व्यवस्था में व्यापक सुधार लाते हैं, इसलिए इन्हें पारित करने से पहले सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों से सलाह लेना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित प्रावधानों से खेल संगठनों की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बन सकती है, वहीं डोपिंग के खिलाफ सख्त कानून खेल क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय साख को भी मजबूत करेंगे।
विपक्ष का कहना है कि यदि ये बिल बिना समुचित समीक्षा के पारित हो गए, तो इसका खेल व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजकर उनके हर प्रावधान की विस्तृत समीक्षा की जानी चाहिए ताकि जरूरी संशोधन किए जा सकें।
बिहार एसआईआर को लेकर भी विपक्ष हमलावर
इन विधेयकों के साथ-साथ विपक्ष बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे को लेकर भी सरकार पर निशाना साध रहा है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में लाखों मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है, जिससे उनके मतदान के अधिकार पर असर पड़ेगा। इसी को लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है।
विपक्ष का कहना है कि खेल विधेयकों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर पारदर्शिता बनाए रखना और सभी दलों की सहमति से कदम उठाना आवश्यक है, ताकि देश में खेल जगत से जुड़े सुधार स्थायी और व्यापक हो सकें।
इन दलों ने किया पत्र पर हस्ताक्षर
इस पत्र पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना (यूबीटी), आरएसपी, वीसीके, एमडीएमके और आईयूएमएल सहित कई विपक्षी दलों के सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
उधर, सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि यदि विपक्ष लगातार सदन की कार्यवाही में बाधा डालता रहा, तो वह जरूरी विधायी कार्य शोरगुल के बीच ही निपटाने को मजबूर होगी।