तिब्बत से एक बड़ी खबर सामने आई है। रविवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार 2:41 बजे तिब्बत क्षेत्र में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.7 मापी गई है। हालांकि, अब तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। एनसीएस ने बताया कि भूगर्भीय गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है। वहीं, प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें सतर्क स्थिति में हैं।
भूकंप आने का कारण
पृथ्वी के अंदर सात प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वहां 'फॉल्ट लाइन' बन जाती है। बार-बार टकराव से प्लेटों के किनारे मुड़ने लगते हैं। जब दबाव अधिक बढ़ता है, तो प्लेटें टूट जाती हैं और भूगर्भीय ऊर्जा बाहर निकलती है, जिससे भूकंप आता है।
भूकंप के केंद्र और तीव्रता का मतलब
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर कंपन सबसे ज्यादा होता है। जैसे-जैसे इस केंद्र से दूरी बढ़ती है, कंपन का असर कम हो जाता है। अगर भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक हो, तो आसपास के 40 किमी के क्षेत्र में झटके तीव्र होते हैं। हालांकि, कंपन का प्रभाव इस पर भी निर्भर करता है कि ऊर्जा का प्रवाह ऊपर की ओर है या क्षैतिज दिशा में। अगर ऊर्जा ऊपर की ओर है, तो कम क्षेत्र प्रभावित होता है।