अहमदाबाद एटीएस ने झिंझाना के आजाद शेख और उनके साथियों से पूछताछ के दौरान आतंकवादी साजिश के कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। जांच में सामने आया कि राजस्थान सीमा से हथियारों की सप्लाई के लिए ‘हाईवे किनारे’ नामक कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया। इस कोड वर्ड के जरिए टेलीग्राम कॉल पर हथियारों की डिलीवरी की जा रही थी, ताकि जांच एजेंसियों को भ्रमित किया जा सके।

एटीएस अधिकारियों ने बताया कि हनुमानगढ़ से अहमदाबाद तक हथियार पहुंचाने के लिए आरोपी टेलीग्राम पर ‘टील’ नामक ग्रुप का उपयोग कर रहे थे। इस ग्रुप में करीब 200 सदस्य थे, जहां हथियारों की सप्लाई, फोटो और देश विरोधी गतिविधियों की योजनाएं साझा की जाती थीं। जांच एजेंसियां इस ग्रुप के सभी सदस्यों की पहचान और भूमिका की पुष्टि कर रही हैं।

अतिरिक्त जानकारी के अनुसार, आरोपी राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के नशे के रास्तों का इस्तेमाल हथियारों की सप्लाई के लिए करना चाहते थे। पकड़े गए आजाद और उनके साथियों के मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए अहमदाबाद भेजे गए हैं। डेटा रिकवर होने पर और भी कई अहम खुलासे होने की संभावना है।

जांच में यह भी पता चला कि कोलकाता जमात के दौरान आजाद का मोबाइल फोन अन्य लोगों द्वारा कॉल करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, जिन लोगों ने फोन से संपर्क किया, उनकी भूमिका संदिग्ध नहीं पाई गई। इस मामले में झिंझाना के एक मौलाना से भी पूछताछ की जा चुकी है।

गुजरात एटीएस ने नौ नवंबर को झिंझाना के आजाद शेख, लखीमपुर खीरी के सुहेल और अहमदाबाद के अहमद मोइय्यूद्दीन को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय एक गाड़ी, एक पिस्टल, तीन कारतूस और करीब चार लीटर कैस्टल ऑयल बरामद हुआ था। जांच में यह सामने आया कि इन हथियारों का सीधा संबंध पाकिस्तान में बैठे अफगानी आतंकी अबू खदीजा से था, जिसे पकड़ने के लिए एटीएस ने जाल बिछाया है।