सीआईएसएफ तैनाती पर गरमा-गरमी, उपसभापति ने विपक्ष के दावे को नकारा

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सदन में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि संसद परिसर में मौजूद सुरक्षाकर्मी केवल संसद की अपनी सुरक्षा सेवा से जुड़े थे, न कि किसी बाहरी बल से।

मंगलवार को उच्च सदन में उस समय माहौल गर्म हो गया जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए CISF जवानों की तैनाती की गई। इस पर उपसभापति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि खरगे द्वारा उन्हें भेजा गया पत्र गोपनीय था, जिसे मीडिया में लीक किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

विवाद उस समय और गहरा गया जब खरगे ने कहा कि विपक्षी सांसदों से ऐसा व्यवहार किया गया जैसे वे आतंकवादी हों। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि सदन को कौन चला रहा है – उपसभापति या केंद्रीय गृह मंत्री, जिनके अधीन CISF कार्य करती है।

खरगे के इस बयान पर सत्ता पक्ष ने तीखा विरोध जताया। नेता सदन जेपी नड्डा ने कांग्रेस के रुख को अराजक बताया और तंज कसते हुए कहा कि उन्हें प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए उनसे “ट्यूशन” लेनी चाहिए, क्योंकि अब उन्हें लंबे समय तक विपक्ष में रहना है। विपक्ष के विरोध के चलते सदन की कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

उपसभापति हरिवंश ने सदन की शुरुआत में कहा कि जिस पत्र में सदन में CISF तैनात करने का आरोप लगाया गया है, वह तथ्यात्मक रूप से गलत है और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने वाला कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि बार-बार होने वाले व्यवधानों से सदन की गरिमा प्रभावित हो रही है और कई सदस्य नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।

खरगे ने जवाब में कहा कि उन्होंने पत्र सार्वजनिक इसलिए किया ताकि सभी सदस्य उसका अवलोकन कर सकें। उन्होंने फिर दोहराया कि विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा है और करेगा। उन्होंने कहा, “क्या हम आतंकवादी हैं, जो CISF बुलानी पड़ी?”

हरिवंश ने स्पष्ट किया कि सदन में उपस्थित सुरक्षाकर्मी संसद सुरक्षा सेवा के सदस्य हैं, जो 1930 में विट्ठल भाई पटेल द्वारा गठित की गई थी और इनकी विशेष ट्रेनिंग होती है।

डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा कि जब भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था, तब भी विट्ठल भाई पटेल ने सुरक्षा बलों को अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उपसभापति से यह सवाल उठाया कि यदि विपक्ष के नेता गलत जानकारी देते हैं तो उस पर कार्रवाई कैसे होनी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि केवल मार्शल सदन में मौजूद थे, न कि CISF के जवान।

विवाद के बीच भी खरगे अपने बयान पर अडिग रहे और फिर सवाल दोहराया कि सदन का संचालन कौन कर रहा है। इसके जवाब में उपसभापति ने दो टूक कहा कि यह आरोप निराधार है। जेपी नड्डा ने विपक्ष के रवैये को अव्यवस्थित बताते हुए कहा कि कांग्रेस को लोकतांत्रिक विरोध की मर्यादाएं सीखनी होंगी।

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