नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) देशभर के स्कूलों के माध्यम से बच्चों के आधार कार्ड में बायोमेट्रिक अपडेट की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। यह अभियान आगामी 45 से 60 दिनों के भीतर चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भुवनेश कुमार के अनुसार, फिलहाल देश में 5 वर्ष की उम्र पार कर चुके करीब 7 करोड़ बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट लंबित है, जो कि नियमानुसार अनिवार्य है।
क्यों जरूरी है बायोमेट्रिक अपडेट?
बच्चों के आधार कार्ड में 5 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद फिंगरप्रिंट और आंखों की पुतली (आईरिस) का डेटा अनिवार्य रूप से अपडेट किया जाना होता है। यदि यह अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट (Mandatory Biometric Update – MBU) समय पर नहीं किया गया, तो संबंधित आधार नंबर निष्क्रिय भी किया जा सकता है।
UIDAI के अनुसार:
- 5 से 7 वर्ष की उम्र तक बायोमेट्रिक अपडेट नि:शुल्क किया जाता है।
- 7 वर्ष की आयु के बाद अपडेट के लिए ₹100 का शुल्क निर्धारित है।
कैसे होगा यह अपडेट?
प्राधिकरण ने एक नई योजना के तहत स्कूलों को इस प्रक्रिया से जोड़ने का निर्णय लिया है। इस योजना के अंतर्गत जिलों में बायोमेट्रिक उपकरण भेजे जाएंगे, जो एक स्कूल से दूसरे स्कूल जाकर बच्चों का बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करेंगे। यह कार्य माता-पिता की सहमति से किया जाएगा, ताकि बच्चों को यह सुविधा स्कूल परिसर में ही मिल सके।
इस समय इस मॉडल का पायलट परीक्षण जारी है, और सफल परीक्षण के बाद इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
भविष्य की योजना
UIDAI आगे चलकर 15 वर्ष की आयु के बाद होने वाले द्वितीय बायोमेट्रिक अपडेट (Second MBU) को भी स्कूलों और कॉलेजों के माध्यम से कराने की योजना पर विचार कर रहा है। अभी 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के आधार में बायोमेट्रिक जानकारी शामिल नहीं होती, लेकिन पांच साल पूरे होते ही यह प्रक्रिया अनिवार्य हो जाती है।
क्या हैं इसके लाभ?
बायोमेट्रिक अपडेट समय पर न होने से बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी हो सकती है। सही और अद्यतन आधार कार्ड से बच्चों को स्कूल में प्रवेश, छात्रवृत्ति, प्रतियोगी परीक्षाओं और विभिन्न सरकारी योजनाओं, विशेषकर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) जैसी सेवाओं का सुचारु रूप से लाभ मिल सकता है।
यूआईडीएआई का कहना है कि स्कूलों के माध्यम से बायोमेट्रिक अपडेट कराना सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी बच्चा लाभों से वंचित न रह जाए।