म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) यानी ULFA(I) ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने उनके शिविरों को ड्रोन के ज़रिए निशाना बनाया है। संगठन के अनुसार, इन हमलों में उसका एक वरिष्ठ नेता मारा गया, जबकि लगभग 19 सदस्य घायल हुए हैं।
हालांकि, भारतीय सेना ने इन आरोपों को नकार दिया है। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने स्पष्ट किया कि सेना को इस तरह की किसी भी सैन्य कार्रवाई की जानकारी नहीं है।
ULFA(I) की ओर से जारी बयान के मुताबिक, हमले तड़के उनके कई मोबाइल शिविरों पर किए गए। कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि इन हमलों में न केवल ULFA(I) बल्कि एनएससीएन-के (NSCN-K) के अड्डों को भी निशाना बनाया गया और इस संगठन के भी कई सदस्य प्रभावित हुए हैं। हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
ULFA(I): पृष्ठभूमि और गतिविधियां
ULFA(I) की स्थापना वर्ष 1979 में परेश बरुआ और उनके सहयोगियों द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य असम को सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करना था। भारत सरकार ने 1990 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया और इसके खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किए।
2008 में, संगठन के एक प्रमुख नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश में गिरफ्तार कर भारत को सौंपा गया था। ULFA की हिंसात्मक गतिविधियों की वजह से असम के कई क्षेत्रों, विशेषकर चाय उद्योग, पर गहरा असर पड़ा था।