राज्यसभा में अमरनाथ यात्रियों पर हुए पहलगाम हमले और उससे जुड़े ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने इस नामकरण पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने सवाल किया कि जब इस हमले में श्रद्धालुओं की जान गई, तो उस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ जैसे पवित्र प्रतीक का नाम क्यों दिया गया?
जया बच्चन ने सबसे पहले घटना में मारे गए श्रद्धालुओं और उनके परिजनों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “जिस तरह से आतंकियों ने हमला किया और लोगों की जान चली गई, वह बेहद पीड़ादायक है। मैं इस घटना से बहुत आहत हूं।”
नामकरण पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा, “आपने ऐसे लेखकों को रखा है जो दिखावे वाले नाम रखते हैं। ऑपरेशन को सिंदूर नाम किसने दिया? जब सिंदूर ही उजड़ गया, तो उसका नाम सिंदूर क्यों रखा गया?”
“कश्मीर को स्वर्ग कहा, लेकिन मिला क्या?”
जया ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद आम लोगों की उम्मीदों का जिक्र करते हुए कहा, “जो लोग अमरनाथ यात्रा पर गए थे, वे विश्वास और साहस के साथ गए थे कि अब आतंकवाद नहीं है। कश्मीर हमारे लिए जन्नत है, लेकिन उन लोगों को क्या मिला? इस सरकार ने उनके विश्वास को तोड़ा है। इस हमले में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिवार कभी सरकार को माफ नहीं कर पाएंगे।”
“हथियार नहीं, इंसानियत जरूरी”
जया बच्चन ने कहा, “क्या सरकार ने पीड़ित परिवारों से माफी मांगी? यह हमारी जिम्मेदारी है। रक्षा मंत्री उस दिन बड़े-बड़े दावे कर रहे थे — हमने यह हथियार खरीदा, वह गोला-बारूद खरीदा। लेकिन क्या इससे उन 26 जानें बच पाईं? हथियारों से नहीं, इंसानियत से समाधान निकलेगा।”
“विनम्रता और ज़िम्मेदारी की ज़रूरत”
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने सदन के सदस्यों से अपील की, “मैं सभी से कहना चाहती हूं कि कृपया विनम्र बनें। जनता ने आपको जिन उम्मीदों के साथ यहां भेजा है, उसकी चिंता करें और अपनी ज़िम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करें।”