नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बीच छत्तीसगढ़ में 18 नक्सली ढेर

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कर्रेगुट्टा की विशाल और कठिन पहाड़ियों में पिछले दो हफ्तों से सुरक्षा बलों द्वारा नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। मंगलवार देर रात इस अभियान के दौरान बड़ी मुठभेड़ हुई, जिसमें सुरक्षा बलों ने 18 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया। मरने वालों की संख्या में अभी और इजाफा होने की संभावना है। मुठभेड़ स्थल से हथियार और विस्फोटक सामग्री भी बरामद की गई है।

ऑपरेशन जारी, नक्सलियों पर कड़ी कार्रवाई

यह ऑपरेशन लगातार 15 दिनों से चल रहा है, जिसमें कई नक्सलियों का सफाया किया जा चुका है। कर्रेगुट्टा क्षेत्र की दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण तलाशी अभियान चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, लेकिन सुरक्षाबलों के जवान निरंतर तलाशी और गश्त कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस इलाके में कुछ शीर्ष नक्सली नेताओं और बटालियन नंबर एक की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद अभियान को तेज किया गया। अभी और नक्सलियों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि कई अन्य ठिकानों पर भी कार्रवाई जारी है। हालांकि, इस मुठभेड़ को लेकर अभी तक स्थानीय पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

नक्सली नेटवर्क को कमजोर करने की बड़ी सफलता

कर्रेगुट्टा का पहाड़ी क्षेत्र पहले से ही नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है। ऐसे में सुरक्षाबलों की यह बड़ी कार्रवाई इलाके में नक्सली नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

पहलगाम हमले का लिया गया कड़ा प्रतिशोध

पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा पहलगाम में किए गए हमले के 15 दिन बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की। 6 और 7 मई की रात को ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। इन हमलों में बहावलपुर, मुरीदके, चक अमरू, सियालकोट, भीमबेर, गुलपुर, कोटली, बाघ और मुजफ्फराबाद के इलाके निशाना बनाए गए।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ – वीरांगनाओं को समर्पित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सैन्य अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा। सूत्रों के अनुसार, पहलगाम हमले में मारे गए 26 नागरिकों में से कई पीड़ितों की पत्नियों की तस्वीरें देशभर में चर्चा का विषय बनी थीं। इन्हीं तस्वीरों को देखते हुए इस जवाबी कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा गया, जो वीरांगनाओं के साहस और सम्मान का प्रतीक है।

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