राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों पर हुई कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि बीते तीन वर्षों में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा पांच स्थानों से अतिक्रमण हटाया गया, जिससे कुल 5,158 परिवार प्रभावित हुए। इनमें से 3,403 परिवारों (लगभग 17,015 लोग) को पुनर्वास के योग्य माना गया और उन्हें दिल्ली सरकार की 2015 की झुग्गी पुनर्वास नीति के तहत नए आवास उपलब्ध कराए गए।
कहां-कहां मिला पुनर्वास
- कालकाजी क्षेत्र के गोविंदपुरी भूमिहीन कैंप से विस्थापित 1,896 परिवारों को कालकाजी एक्सटेंशन में इन-सीटू स्लम रिहैबिलिटेशन (ISR) के तहत बसाया गया।
- अशोक विहार के जेलरवाला बाग के 1,087 परिवारों को स्वाभिमान अपार्टमेंट में स्थानांतरित किया गया।
- गोल्डन पार्क (रामपुरा) के 271 और माता जय कौर कैंप के 46 परिवारों को भी वहीं आवास दिए गए।
- वहीं, आरएमएल अस्पताल के पास कालीबाड़ी झुग्गी क्लस्टर से 103 परिवारों को नरेला के सेक्टर G-7 और G-8 में नए घर अलॉट किए गए।
पुनर्वास में सामने आईं चुनौतियां
मंत्रालय के मुताबिक, आधुनिक अपार्टमेंट में झुग्गीवासियों को बसाने के दौरान सामाजिक और व्यवहारिक बदलावों से जुड़ी कई दिक्कतें सामने आईं। इनमें सामूहिक जीवनशैली अपनाना, साझा सुविधाओं जैसे कॉमन एरिया और लिफ्ट को लेकर सामुदायिक जिम्मेदारी महसूस करना और नई परिस्थितियों के अनुसार ढलना प्रमुख रहे। इन समस्याओं से निपटने के लिए एनजीओ के सहयोग से जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए।
पुनर्वास के लिए बनाई गई पारदर्शी व्यवस्था
सरकार ने बताया कि डीडीए ने पुनर्वास की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया है, जिसके जरिए झुग्गी बस्तियों का सर्वे कर पात्र लाभार्थियों की पहचान की जाती है। इन-सीटू पुनर्वास योजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) और व्यवहार्यता अध्ययन तैयार करने के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइज़र नियुक्त किए गए हैं। पात्रता, आवंटन और भुगतान से संबंधित कार्य भी डिजिटल माध्यम से पूरे किए जाते हैं, साथ ही शिकायत निवारण के लिए अपीलीय तंत्र और कर्ज की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।