दिल्ली के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) पर अपनी दशकों पुरानी निर्भरता को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। विभाग ने स्वयं का स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर गठित करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे शीघ्र ही दिल्ली कैबिनेट से स्वीकृति मिलने की संभावना है।
अब तक दिल्ली में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग पदों—जैसे जूनियर इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और सुपरिटेंडिंग इंजीनियर—पर नियुक्तियाँ मुख्य रूप से केंद्रीय एजेंसियों से प्रतिनियुक्ति (deputation) के माध्यम से होती रही हैं। इससे कार्यों में देरी, समन्वय की कमी और जवाबदेही की समस्या सामने आती रही। लेकिन, नए कैडर के गठन के बाद दिल्ली सरकार को स्थायी, स्थानीय और उत्तरदायी तकनीकी बल उपलब्ध होगा।
स्वतंत्र कैडर: जवाबदेही और क्षमता का नया अध्याय
PWD मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने इस पहल को दिल्ली के लिए एक “टर्निंग पॉइंट” करार दिया। उन्होंने कहा, “अब हमारे अभियंता सिर्फ विभाग के नहीं, बल्कि सीधे दिल्ली की जनता के प्रति जवाबदेह होंगे। इससे उनकी कार्यशैली, संवेदनशीलता और निष्पादन की गति बेहतर होगी। हम एक साफ, तेज़ और आधुनिक दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं, और उसके लिए हमें अपनी खुद की टीम चाहिए।”
कैडर की स्वीकृति मिलते ही जूनियर इंजीनियर से लेकर चीफ इंजीनियर तक सभी पदों पर भर्ती और पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत CPWD अधिकारी चाहें तो मूल विभाग में लौट सकते हैं या स्थायी रूप से दिल्ली PWD में सम्मिलित हो सकते हैं।
क्या होंगे इस बदलाव के फायदे?
- प्रशासनिक स्वतंत्रता: निर्णय लेने में तेजी आएगी क्योंकि अब बाहरी मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
- परियोजनाओं में निरंतरता: एक ही इंजीनियर पूरे प्रोजेक्ट के साथ रहेगा, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
- स्थानीय प्रशिक्षण: इंजीनियरों को दिल्ली की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
- सीधी जवाबदेही: अधिकारी सीधे दिल्ली सरकार के अधीन होंगे, जिससे निगरानी और नियंत्रण बेहतर होगा।
- तेज़ और पारदर्शी प्रक्रिया: निर्णय प्रक्रिया अधिक कुशल और स्थानीय हो सकेगी।
पुरानी व्यवस्था की दिक्कतें
अब तक दिल्ली की बड़ी निर्माण योजनाओं—जैसे फ्लाईओवर, अस्पताल और सड़कों—की ज़िम्मेदारी CPWD के अधिकारियों पर रही, जिनकी प्राथमिकता कई बार केंद्र सरकार की परियोजनाओं के प्रति अधिक होती थी। इससे स्थानीय परियोजनाओं में रुकावट, ट्रांसफर की समस्या और समन्वय की कमी बनी रहती थी।
पहले से दिखने लगे हैं सुधार के संकेत
दिल्ली PWD ने बीते एक वर्ष में कई नवाचार किए हैं, जैसे: सड़क परियोजनाओं की रीयल-टाइम निगरानी, थर्ड पार्टी ऑडिट के माध्यम से पारदर्शिता, गड्ढा-मुक्त सड़क अभियान, जल निकासी व बाढ़ प्रबंधन की प्रणाली में सुधार आदि। स्वतंत्र कैडर मिलने से इन सभी पहलों को और अधिक गति व मजबूती मिलेगी।
नई दिल्ली की नींव और दृष्टिकोण
यह निर्णय दिल्ली सरकार को एमसीडी, एनडीएमसी और डीडीए जैसे संगठनों की तर्ज पर एक आधुनिक और आत्मनिर्भर तकनीकी व्यवस्था की ओर ले जाएगा। अपने इंजीनियरिंग बल के माध्यम से सरकार राजधानी की आधारभूत संरचना को अधिक मज़बूत, पारदर्शी और लोक-जवाबदेह बनाना चाहती है।