आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अमेरिकी नीतियों और शेयर बाजार में गिरावट को लेकर केंद्र सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने और शेयर बाजार में भारी गिरावट के कारण निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि वे अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
संजय सिंह ने कहा कि यह निवेशकों के साथ विश्वासघात है, जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में लगाई थी। उन्होंने बताया कि सेंसेक्स में 800 अंकों की गिरावट से लोगों के करोड़ों रुपए डूब गए हैं। इसके लिए वे प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं।
"ट्रंप भारत के नहीं, अपने हितों के साथ हैं"
संजय सिंह ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि ट्रंप भारत को अब रूस से सस्ता तेल खरीदने से रोकना चाहते हैं, जबकि रूस वर्षों से भारत का भरोसेमंद सहयोगी रहा है। उन्होंने कहा कि रूस ने न केवल युद्ध के समय भारत का साथ दिया, बल्कि संयुक्त राष्ट्र में भी छह बार भारत के पक्ष में वीटो का प्रयोग किया है। अब जब वह भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल दे रहा है, अमेरिका उसपर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने ट्रंप के उस कथित बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को "मरी हुई" बताया और कहा कि अमेरिका पाकिस्तान से तेल निकालकर भारत को बेचेगा। संजय सिंह ने इस बात पर आशंका जताई कि इससे भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता और आर्थिक स्वायत्तता पर खतरा मंडरा रहा है।
"अमेरिकी दबाव का विरोध करे भारत सरकार"
आप नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिकी दबाव का खुलकर विरोध करना चाहिए और स्पष्ट नीति रखनी चाहिए। भारत को अपनी प्राथमिकताओं पर अडिग रहते हुए ऐसी नीतियों का निर्माण करना चाहिए, जो उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती दें और विदेशी प्रभाव से दूर रखें।
संसद में नोटिस, सरकार से जवाब की मांग
संजय सिंह ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने संसद में नियम 267 के तहत नोटिस दिया है, जिसमें मांग की गई है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री सदन में आकर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और ट्रंप के बयानों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करें।
जल परियोजनाओं पर भी उठाए सवाल
इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार की जल परियोजनाओं को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन परियोजनाओं का निर्माण कब तक पूरा होगा और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी या नहीं। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि इन परियोजनाओं में भ्रष्टाचार न हो और यह उद्घाटन से पहले ही न टूटें।