दिल्ली विधानसभा ने ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक का उद्देश्य निजी स्कूलों की फीस निर्धारण में पारदर्शिता लाना और मनमानी वृद्धि को रोकना है। विधेयक पर चर्चा के दौरान शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि यह मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष अभिभावकों की शिकायतों के बाद उठा था। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने अभिभावकों की मौजूदगी में उनसे और अधिकारियों से बात की और इस विषय पर तुरंत कार्रवाई करने को कहा।
आशीष सूद ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता और मुख्यमंत्री की राजनीतिक इच्छाशक्ति से यह कदम संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि चर्चा में विपक्ष के 12 सदस्य शामिल हुए, जिनमें से केवल दो ने बिल के प्रावधानों पर बात की, जबकि बाकी बिना ठोस तर्क के बोलते रहे।
शिक्षा मंत्री ने आम आदमी पार्टी की शिक्षा नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी शिक्षा क्रांति का पर्दाफाश हो रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के आरोप अभिभावकों का अपमान करने वाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा लगाए गए 10 फीसदी फीस वृद्धि के आरोपों को उन्होंने गलत बताया और कहा कि पिछली सरकारों ने कई स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति दी थी, जिसका विपक्ष ने कभी विरोध नहीं किया।
आशीष सूद ने विपक्ष पर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलने का आरोप लगाया और कहा कि पिछले पांच वर्षों में 14 बिल पास हुए, लेकिन आज वही लोग चर्चा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2012 के बाद कोई बिल सिलेक्ट कमेटी में नहीं गया, और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने दो बार केंद्र से मंजूरी के प्रयासों की बात कही, लेकिन अस्वीकृति मिली।
शिक्षा मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री से सवाल किया कि जब वे सत्ता में थीं तब कंसल्टेशन क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा कि डीपीएस द्वारका में फीस विवाद के कारण सुरक्षा कर्मी तैनात करने पड़े थे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने फीस वृद्धि पर नियंत्रण रखने को कहा था, लेकिन तत्काल कोई कदम नहीं उठाया गया।
आशीष सूद ने बताया कि राष्ट्रीय निजी स्कूल प्राधिकरण (NCPI) के तहत भी विपक्षी नेताओं ने 13 फीसदी तक फीस वृद्धि की मंजूरी दी थी, जबकि आज वे विरोध कर रहे हैं।