मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बने छह माह से अधिक हो चुके हैं। विरासत में मिली आर्थिक बदहाली से जूझते हुए सरकार के लिए जनता को दी गईं गारंटियां पूरी करनी हैं। पड़ोसी राज्यों के साथ उलझे मसले सुलझाना भी चुनौती का काम है। मंत्रिमंडल का विस्तार भी अटका हुआ है। इन मोर्चों पर सुक्खू कैसे खरे उतरेंगे, क्या रणनीति रहेगी? अमर उजाला के साथ विशेष बातचीत में खुलकर अपना नजरिया रखा। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश..
अभी तक के कार्यकाल में क्या चुनौतियां रहीं?
पिछली सरकार 75 हजार करोड़ का कर्ज और 10 हजार करोड़ की रायल्टी छोड़कर गई है। इसमें सुधार ही चुनौती है। मेरा सपना है कि दस साल में प्रदेश सबसे समृद्ध और खुशहाल राज्य होगा। सरकार इसी दिशा में बढ़ रही है।
आपकी सरकार बने छह माह से ज्यादा हो गए हैं, अभी तक मंत्रियों के तीन पद खाली पड़े हैं, कब भरे जाएंगे?
जल्द मंत्रिमंडल विस्तार होगा। तीन पदों को भरने की तैयारी कर ली गई है। विस्तार में कांगड़ा और बिलासपुर जिले से नए मंत्री बनेंगे। हर जिले को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।
आपने 10 गारंटियां दी थीं, 300 यूनिट बिजली फ्री कब मिलेगी?
ओपीएस को लागू कर दिया। प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए फैसले ले रहे हैं, जैसे जैसे स्थिति ठीक होगी, वैसे ही गारंटियों को भी लागू किया जाएगा। वह चाहे पांच लाख युवाओं को रोजगार की गारंटी हो या बिजली की, हम पूरी करेंगे।
हिमाचल प्रदेश पर कर्ज 80 हजार करोड़ पहुंचने लगा है, ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के बाद कितना बोझ बढ़ेगा?
यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से इसे देखा जाना चाहिए। मैं खुद एक कर्मचारी का बेटा हूं। मैं खुद अपने पिता की पेंशन से पढ़ा हूं। जिस कर्मचारी ने सरकार को अपने जीवन के 30 साल दिए हैं, सेवानिवृत्ति के बाद उसके भविष्य को सुरक्षित करना है। इसलिए इसे बोझ के रूप में नहीं देखना चाहिए। हमने कर्मचारियों से ओपीएस और एनपीएस दोनों विकल्प दिए थे, अधिकतर कर्मचारियों ने ओपीएस को चुना है।
डीए की 4 फीसदी की किस्त की घोषणा कब तक संभव है?
पिछली सरकार ने इतना कर्ज चढ़ा दिया कि कर्मचारियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जैसे ही हालात ठीक होंगे, डीए की किस्त जारी की जाएगी।
अगर आर्थिक स्थिति में सुधार से ही सब कुछ होना है तो इसके लिए आपकी सरकार क्या कर रही है?
हमने कई मदों में सब्सिडी खत्म की है। हिमाचल भवन, सदन और एमएलए भवन में वीआईपी लोगों को सस्ती दरों पर कमरे व अन्य सुविधाएं मिलती थीं, उन रियायतों को खत्म करके आम जनता के बराबर कर दिया है। इससे सालाना 20 करोड़ रुपये की बचत होगी। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कड़े फैसले लेने से गुरेज नहीं किया जाएगा। वाटर सेस लगाने से भी सरकार को 2 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आने की उम्मीद है।
निवेश बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है?
ग्रीन व हाइडल एनर्जी, पर्यटन, डाटा सेंटर, आईटी और फूड प्रोसेसिंग पर फोकस है। कोई भी निवेशक आएगा तो उसको दिक्कत नहीं आएगी। नए उद्योग स्थापित करने में सरकार मदद करेगी। 2026 तक प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य है।
कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने की घोषणा तो हो गई, लेकिन धरातल पर योजनाएं कब उतरेंगी?
इसके लिए काम शुरू हो गया है। हम सबसे पहले कांगड़ा को टूरिज्म कैपिटल बनाने के लिए ढांचागत विकास पर फोकस कर रहे हैं। यहां पर हवाई और सड़क सुविधा को और मजबूत किया जा रहा है।
नशे को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं है?
हिमाचल की सीमाओं पर सख्ती बरती जा रही है। सरकार नशा तस्कर और इस धंधे में संलिप्त लोगों की कमर तोड़ने के निए नया कानून लेकर आएगी। इसके तहत तस्करों की प्रापर्टी अटैच की जाएगी और उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जाएगा।
जमीनों की रजिस्ट्री और इंतकाल में बड़ी दिक्कतें लोगों को आती हैं, इसे कैसे दूर करेंगे?
प्रदेश में जल्द ही ऐसा प्रावधान किया जा रहा है कि रजिस्ट्री के साथ ही इंतकाल, डिमार्केशन और पार्टिशन तक के तमाम कार्य एक बार में ही होंगे। व्यक्तियों को बार बार तहसील में जाने की जरूरत नहीं होगी।