संजौली मस्जिद: वक्फ बोर्ड का दावा, आजादी से पहले की है कसुम्पटी मस्जिद

राजधानी के संजौली के बाद अब कसुम्पटी क्षेत्र में कथित मस्जिद के विवाद पर वक्फ बोर्ड का पक्ष सामने आया है। बोर्ड का कहना है कि कसुम्पटी क्षेत्र में जिस जगह निर्माण पर विवाद हो रहा है, वह वक्फ बोर्ड की जमीन है। बाकायदा राजस्व रिकॉर्ड में यह जमीन बोर्ड के नाम है। यही नहीं यहां की मस्जिद भी आजादी से पहले की बनी है। राजस्व रिकॉर्ड में भी गैर मुमकिन मस्जिद दर्ज है।

वक्फ बोर्ड का कहना है कि यहां जमीन या मस्जिद पर कोई विवाद नहीं है। सिर्फ कुछ निर्माण को लेकर नगर निगम कोर्ट ने हटाने के आदेश दिए थे जिससे संबंधित मामला अब सेशन कोर्ट में लंबित है। वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबद्दीन ने कहा कि कसुम्पटी क्षेत्र में वक्फ बोर्ड की जमीन है। हमारे पास इसका पुख्ता राजस्व दस्तावेज हैं। यहां किसी नई मस्जिद का निर्माण नहीं हुआ है। कसुम्पटी मस्जिद पहले से बनी है। इस पर कोई विवाद नहीं है। अभी तक इस क्षेत्र के कई लोग यहां मस्जिद न होने का दावा कर रहे थे। इनका कहना है कि यहां पिछले कुछ समय से निर्माण कार्य चल रहा है। अंदेशा जताया था कि यहां मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन अब इस मामले में वक्फ बोर्ड के दावे से नया मोड़ आ गया है।

यहां मस्जिद नहीं थी : राकेश शर्मा
इस मामले में कसुम्पटी क्षेत्र के लोग मंगलवार को नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री से मिलने जा रहे हैं। इनका कहना है कि यहां अवैध निर्माण हो रहा है। गुपचुप मस्जिद तैयार की जा रही है। इसे गिराने के आदेश जारी हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद यहां बाहरी क्षेत्र के लोग आ रहे हैं। वार्ड पार्षद रचना शर्मा ने कहा कि यहां अवैध निर्माण गिराया जाना चाहिए। पूर्व डिप्टी मेयर राकेश शर्मा ने कहा कि कि कसुम्पटी में कभी भी मस्जिद नहीं थी। कहा कि विवादित जमीन पर सदीक मोहम्मद का परिवार रहता था। यह जमीन उसे रिहायश के लिए लीज पर दी थी। दावा किया कि राजस्व रिकॉर्ड में इस जमीन की मालिक केंद्र सरकार है जबकि कब्जा किसी तारुल इस्लाम के नाम है। कहा कि मंगलवार को इस बारे में नगर निगम प्रशासन से मिलेंगे।

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