अरशद मदनी ने फिर दिया भड़काऊ वक्तव्य, मुस्लिमों को उत्तेजित करने का षडयंत्र

जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार को दिल्ली में कार्यसमिति की बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा, देश में अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम टारगेट पर हैं। पैगंबर का अपमान हुआ। जिन लोगों ने इसे खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, उन पर कार्रवाई करना अत्याचार है। इशारों में उन्होंने अग्निपथ स्कीम के विरोध में हुए बवाल का जिक्र किया। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया, ‘जिन लोगों ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, हिंसक प्रदर्शन किया। उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’

अरशद मदनी ने कहा, ‘देश में सांप्रदायिकता बढ़ती जा रही है। मुस्लिम और अल्पसंख्यकों के साथ खुलेआम भेदभाव किया जा रहा है। शासन करने वाले लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं। संविधान से खिलवाड़ हो रहा है। अब ऐसा लगता है कि देश में अदालतों की जरूरत नहीं।’

मदनी बोले- अदालतों का काम सरकार कर रही
मदनी ने कहा, ‘देश में अशांति, अराजकता और सांप्रदायिकता चरम पर है। अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमानों से उनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं। यहां तक कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को भी देशद्रोह की संज्ञा की जा रही। बेवजह से इन पर लाठियां और गोलियां बरसाईं गईं। इतनी मेहनत से बनाए गए घरों पर बुलडोजर चलवा दिया। जो काम अदालतों का था अब वह सरकारें कर रही हैं।’

बहुसंख्यकों के प्रदर्शन पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप
अरशद मदनी ने कहा, ‘प्रदर्शन हर भारतीय नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है। वर्तमान शासकों के पास प्रदर्शन को देखने के दो मापदंड हैं। मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रदर्शन करे तो अक्षम्य अपराध, लेकिन बहुसंख्यक के लोग प्रदर्शन करें तो कुछ नहीं होता। अभी कई लोगों ने सड़क पर उतरकर पूरी रेल गाड़ियां और स्टेशन फूंक डालें। उन पर सिर्फ हल्का सा लाठी चार्ज किया गया।

पुलिस मुसलमानों के खिलाफ सभी सीमाएं तोड़ देती है। आज मूक दर्शक बनी रही। प्रयागराज के पुलिस अधिकारी ने कहा था कि तोड़फोड़ करने वाले देश के बच्चे हैं। इस पर मदनी ने सवाल उठाया कि पैगंबर की शान की गुस्ताखी करने वालों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे लोग क्या विदेशी थे?

कार्यसमिति की बैठक में दो प्रस्ताव हुए पास

  • पैगंबर की महिमा का जिन लोगों ने अपमान किया है, उनका निलंबन पर्याप्त नहीं। उन्हें अरेस्ट कर कानूनी कार्रवाई हो।
  • धार्मिक स्थलों से जुड़े 1991 के कानून में संशोधन के प्रयास आने वाले दिनों में परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। इसमें संशोधन को रोकें।

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