गाजियाबाद। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) कोर्ट ने शनिवार को यूनियन बैंक आफ इंडिया नोएडा शाखा के प्रबंधक रहे मनोज श्रीवास्तव को चार वर्ष की कारावास की सजा सुनाई। उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वर्ष 2009 में जाली दस्तावेजों पर 40 लाख रुपये का लोन स्वीकृत किया था।
मनोज श्रीवास्तव सहित अन्य व्यक्तियों पर बैंक में धोखाधड़ी का आरोप लगा था। जिसकी जांच सीबाीआइ को सौंपी गई। मनोज श्रीवास्तव ने मई 2007 से जून 2009 तक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एसएसआइ शाखा, नोएडा में शाखा प्रबंधक के रूप में कार्यरत थे।
उन्होंने शाखा के लेखाकार अनिल कुमार गोयल के साथ मिलकर 40 लाख रुपये का ऋण दिनांक 10 फरवरी 2009 को राजीव बुद्धिराजा को जाली दस्तावेज पर स्वीकृत किया। राजीव एमएस भारती एसोसिएट्स का मालिक है। इससे बैंक का आर्थिक नुकसान हुआ। जांच में शाखा प्रबंधनक की भूमिका सामने आने पर सीबीआइ 14 दिसंबर 2010 को मामला दर्ज किया था।
सीबीआइ ने 29. सितंबर 2012 को मनोज श्रीवास्तव, अनिल कुमार गोयल और राजीव बुद्धिराजा के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया। सात जुलाई 2017 को न्यायालय ने अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप तय किए।
मनोज श्रीवास्तव ने 22 अगस्त 2025 को विशेष न्यायाधीश, सीबीआइ एंटी-करप्शन की अदालत में दोष स्वीकार करने का आवेदन दिया। अदालत ने उसका आवेदन स्वीकार कर लिया। विशेष न्यायाधीश ने मनोज श्रीवास्तव को शनिवार को दोषी ठहराते हुए चार वर्ष की कारावास की सजा सुनाई।