पश्चिम उत्तर प्रदेश में इस समय मौसम ने सबसे कठोर रूप दिखाया है। मेरठ में गुरुवार को पिछले 14 साल में सबसे ठंडी दिनचर्या दर्ज की गई। घना कोहरा और कड़ाके की ठंड ने जनजीवन को सुस्त कर दिया, लेकिन किसानों के हौसले कम नहीं हुए। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ता और किसान गन्ना भवन पर लगातार पांचवे दिन भी धरने पर डटे हुए हैं।

गुरुवार को प्रशासन और किसानों के बीच लंबी बातचीत का दौर चला, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। दोपहर करीब 3 बजे कमिश्नर भानु चंद्र गोस्वामी ने किसानों के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए बुलाया। जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी और अन्य पांच नेता इस बैठक में शामिल हुए। लगभग एक घंटे चली इस बातचीत में किसानों को आश्वासन दिया गया कि लखनऊ स्थित उच्च अधिकारियों से बात कर जल्द समाधान लाया जाएगा। लेकिन किसान ठोस फैसले की उम्मीद कर रहे थे, इसलिए वार्ता विफल रही।

इससे पहले सुबह उपगन्ना आयुक्त राजीव राय और एडीएम सिटी बृजेश सिंह ने भी किसानों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन किसान गन्ना अधिकारी कार्यालय पर ताला जड़कर वहीं लेट गए।

भाकियू जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी का कहना है कि इस साल गन्ना मिलों द्वारा नियमों में किए गए बदलाव किसानों की कमर तोड़ रहे हैं। किसान चाहते हैं कि गन्ना खरीद के नियम पिछले वर्ष की तरह ही लागू रहें। इस बार मिलें इंडेंट से अधिक गन्ना स्वीकार नहीं कर रही हैं या यदि स्वीकार करती हैं तो अगले इंडेंट में कटौती कर दी जा रही है। वहीं, ट्रांसपोर्टरों का भाड़ा भी 3 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है।

धरने में शामिल किसानों में मेजर चिंदौड़ी, सुनील, विनोद, अनूप यादव, मुनीश त्यागी, जिलाध्यक्ष हापुड़ दिनेश खेड़ा, हर्ष चाहल, ऋषिपाल, शरद, सतबीर जंगेठी, वीरेंद्र, सत्ते, हरपाल और जसबीर सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।

किसानों की प्रमुख मांगें:

  • हाड़ा पिछले वर्ष के अनुरूप तय किया जाए।

  • मिलें पिछले साल के नियमों के आधार पर कार्य करें।

  • रिजेक्ट प्रजाति के गन्ने का मूल्य पिछले वर्षों के अनुसार बढ़ाया जाए।

  • जारी इंडेंट से अधिक गन्ना मिलों द्वारा स्वीकार किया जाए।

  • मोड परिवर्तन वाली व्यवस्था में सुधार किया जाए।

  • अधिकारी गन्ना भवन में मौजूद रहें।

भाकियू ने 21 दिसंबर को गन्ना भवन पर महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया है। इस महापंचायत में संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हो सकते हैं।

जहां प्रशासन ठंड से निपटने के लिए स्कूलों का समय बदल रहा है और रैन बसेरों की व्यवस्था कर रहा है, वहीं गन्ना भवन का दृश्य कुछ अलग है। 60 से 80 वर्ष के बुजुर्ग किसान खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं। रात में ठंड से बचने के लिए रागिनी और संगीत का सहारा लिया जा रहा है। धरनास्थल पर खाने-पीने और दूध की सामुदायिक व्यवस्था भी की गई है।