अलीगढ़। अब तक खिलौना (पिस्तौल-रिवाल्वर) तैयार करने वाले अलीगढ़ में अब असली हथियार भी बनने लगे हैं। इससे भी खास बात ये है कि अब अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में बनने वाले हथियार विदेशों तक निर्यात होंगे और विदेशों में लोग इनका प्रयोग कर सकेंगे। इसकी सबसे पहली खेप अमेरिका भेजे जाने की तैयारी चल रही है। इसे लेकर डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित देश की नामी वेरीविन डिफेंस कंपनी को हथियारों के विदेशी निर्यात की अनुमति मिल गई है। इसी क्रम में सबसे पहले ट्रायल के लिए अमेरिका भेजे जाने की तैयारी हो रही है। वहीं बहुत जल्द सेना व कई राज्यों की पुलिस को भी हथियारों की खेप जाएगी। इसके लिए कई जगह ट्रायल चल रहे हैं।

अंडला स्थित डिफेंस कॉरिडोर के प्लाट नंबर 12 व 15 में 88 करोड़ रुपये के निवेश के साथ हथियार उत्पादक फर्म वेरीविन ने फैक्टरी स्थापित की है। अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसिन के साथ करार करके अलीगढ़ की यह फर्म शुरू हुई है। जिसमें अत्याधुनिक व विदेशी तकनीक से अप्रैल माह से उत्पादन शुरू हुआ है। यहां अभी आमजन के लिए .32 बोर के रिवाल्वर-पिस्तौल व 357 बोर के रिवाल्वर पिस्तौल बन रहे हैं। यहां सेना व पुलिस के लिए .9 एमएम बोर के हथियार भी अभी सिर्फ ट्रायल के लिए बनाए गए हैं। मगर .9 एमएम बोर हथियारों के साथ-साथ .32 व 357 बोर हथियारों को अब विदेशी निर्यात की तैयारी है। इसके लिए पिछले दिनों विदेशी निर्यात की अनुमति मिल गई है और विदेशी खरीदारों से बातचीत के बाद वहां हथियार ट्रायल के लिए भेजे जा रहे हैं। वहां हथियार पसंद किए जाते हैं तो इनकी आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।

कारतूस निर्माण को भी मंजूरी पूरी, जल्द बनेंगे कारतूस
इस फर्म को अब तक सिर्फ हथियार निर्माण की मंजूरी मिली थी। हालांकि लाइसेंस कारतूस निर्माण का भी मिल गया था। मगर अभी तक कुछ औपचारिकताओं के चलते कारतूस निर्माण की मंजूरी नहीं हो पाई थी। मगर पिछले सप्ताह कारतूस निर्माण की मंजूरी भी मिल गई है। इसके लिए बाकायदा टीम ने यहां विजिट कर यह मंजूरी दी है। अब बहुत जल्द यहां कारतूस भी बनना शुरू होंगे। इसके लिए विस्फोटक स्टोर की व्यवस्था पहले से है। दो लाख कारतूस प्रतिमाह बनाने की क्षमता इस यूनिट की है।

अब तक बाजार में पहुंचे एक हजार हथियार

डिफेंस कॉरिडोर में सबसे पहले इसी यूनिट में उत्पादन शुरू हुआ है। अप्रैल से उत्पाद करने वाली इस यूनिट की प्रति माह की उत्पाद क्षमता पांच सौ हथियार की है। वहीं अब तक यहां के बने एक हजार हथियार बाजार में पहुंच गए हैं। पांच हजार करीब ऑर्डर भी हैं, जिन पर तेजी से काम चल रहा है। बहुत जल्द यहां के हथियार सेना व कई राज्यों की पुलिस के पास भी दिखेंगे।

हमारी कंपनी पिछले चार दशक से शस्त्र निर्माण के क्षेत्र में काम कर रही है। अभी तक हम यहां से भारतीय बाजार में हथियार बेच रहे थे। मगर अब विदेशी निर्यात व कारतूस निर्माण की मंजूरी मिल गई है। हमारे हथियार अमेरिका ट्रायल के लिए भेजे जा रहे हैं। बहुत जल्द ऑर्डर मिलने की भी उम्मीद है। अब भारतीय हथियार विदेश में बिकेंगे। यह हमारी फर्म का सौभाग्य होगा। बाकी सेना व पुलिस से करार पर लगातार वार्ता व ट्रायल जारी है।-मोहित शर्मा, निदेशक वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड

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भारतीय बाजार में .9 एमएम बोर का हथियार सिर्फ सेना व पुलिस प्रयोग के लिए है, जबकि अमेरिका में यह बोर पब्लिक के लिए भी बेचा जा सकता है। इसलिए सबसे पहले इसकी आपूर्ति अमेरिका में देने की तैयारी तेजी से चल रही है।

ये हथियार बन रहे यहां
-मॉडल 431 पीडी .32 बोर रिवाल्वर
-मॉडल 60 .357 बोर रिवाल्वर
-मॉडल विक्टर 32 .32 बोर पिस्टल
-विक्टर 9 .9 एमएम विदेश निर्यात व सेना के लिए

अब तक बाजार में पहुंचे एक हजार हथियार
अलीगढ़ डिफेंस कॉरिडोर में बने हथियारों की बेसिक कीमत 1.80 लाख रुपये है। जिस पर 18 फीसदी जीएसटी के साथ भारतीय बाजार में 2.15 लाख रुपये अनुमानित कीमत रहती है। इसे कम ज्यादा फुटकर में भी बेचा जा सकता है।