कोटद्वार में साइबर ठगी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां राजकीय पीजी कॉलेज की वरिष्ठ प्राध्यापिका को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर ठगों ने 1.11 करोड़ रुपये हड़प लिए। आरोपियों ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर प्राध्यापिका को जाल में फंसाया और लगातार 11 दिनों तक मानसिक दबाव में रखा।
पीड़िता के अनुसार, बीते आठ दिसंबर को एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने गंभीर मामले में नाम आने की बात कहते हुए किसी भी समय गिरफ्तारी का डर दिखाया। इसके साथ ही कॉल काटने से मना किया गया और लगातार संपर्क में रहने का दबाव बनाया गया। भयभीत प्राध्यापिका से मामले को “निपटाने” के नाम पर रकम की मांग की गई।
डर के चलते उन्होंने पहले अपनी पूरी जमा पूंजी बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दी। इसके बाद भी ठगों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रखने का दावा करते हुए और पैसों की मांग जारी रखी। मजबूर होकर प्राध्यापिका ने रिश्तेदारों से सहायता लेकर भी लाखों रुपये अलग-अलग तारीखों—8, 16, 18 और 19 दिसंबर—को ट्रांसफर कर दिए। कुल मिलाकर ठगों को 1.11 करोड़ रुपये दिए जाने के बाद उन्हें ठगी का अहसास हुआ।
इसके बाद साहस जुटाकर प्राध्यापिका राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य और स्टाफ के साथ कोटद्वार कोतवाली पहुंचीं और पूरी घटना की जानकारी दी। मामले में कोटद्वार साइबर सेल में जीरो एफआईआर दर्ज कर जांच के लिए प्रकरण एसटीएफ देहरादून को भेज दिया गया है।
कोटद्वार की सीओ निहारिका सेमवाल ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के जरिए एक करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी के मामले में विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है और मामले की गहन जांच की जा रही है।