कोरोना महामारी ने भारतीय परिवारों के बीच गंभीर आर्थिक संकट पैदा कर दिया है। इसके संकेत हाल के दिनों में सोने की बढ़ती नीलामी से मिले हैं। बैंक और एनबीएफसी के पास गोल्ड लोन में गिरवी पड़ा सोने की नीलामी कई गुना बढ़ गई है। गोल्ड लोन की ईएमआई चुकाने में असमर्थता के बाद बैंकों को गिरवी सोना बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

उपभोक्ताओं पर वित्तीय संकट का अंदाजा देश के सबसे बड़े गोल्ड लोन देने वाले में से एक, मणप्पुरम फाइनेंस द्वारा किए जा रहे सोने की नीलामी के आंकड़े से लगाया जा सकता है। मणप्पुरम फाइनेंस ने जून तिमाही में 1500 करोड़ मूल्य के सोने की नीलामी की है। वहीं, इसके पिछली तिमाही में मणप्पुरम ने 404 करोड़ रुपये का सोना नीलाम किया था, जबकि उसके पहले के 9 महीनों में यह आंकड़ा मात्र 8 करोड़ का ही था।

दूसरी लहर के दौरान 111.5 मीट्रिक टन सोना बेचा गया

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वहीं, इंडिया बुलियन एंड जूलर्स असोसिएशन (आईबीजेए) के अनुसार इस साल अप्रैल से जून के बीच कोविड की दूसरी लहर के दौरान 111.5 मीट्रिक टन सोना बेचा गया। इसमें भी गुजरात सबसे आगे रहा, जहां 22 मीट्रिक टन या कुल का 20 प्रतिशत सोना बेचा गया। गोल्ड डिमांड ट्रेंड (जीडीटी) की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड की दूसरी लहर ने ग्रामीण भारत में आय को बुरी तरह से प्रभावित किया। ग्रामीण इलाके के उपभोक्ताओं ने भी बड़े पैमाने पर सोना बेचा है। लोगों पर आर्थिक मार पड़ी और मेडिकल खर्च के लिए भी सोने को बेचना पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जून के बीच दूसरी लहर के दौरान गोल्ड रिसाइक्लिंग में 33 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखने को मिली। यानी लोगों ने अपने घर में रखा सोना बड़े पैमाने पर बेचा है।

गोल्ड लोन की मांग में जबरदस्त उछाल

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कोरोना महामारी के बाद लोगों ने रिकॉर्ड मात्रा में गोल्ड लोन लिया है। रिजर्व बैंक के अनुसार बैंकों ने एक साल में रिकॉर्ड 62,101 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन लोगों को दिया है। पिछले साल मई 2020 तक एक साल में लोगों ने 15,686 करोड़ रुपये का लोन लिया था। वहीं मई 2020 के बाद मई 2021 के बीच गोल्ड लोन की राशि बढ़कर 62,101 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यानी पिछले एक साल में 46,415 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन लोगों ने बैंकों से लिया है। मार्च 2020 के बाद गोल्ड लोन में रिकॉर्ड 86.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का गोल्ड लोन बिजनेस 465% बढ़कर 20,987 करोड़ रुपये का हो गया।

सोना बेचने में और तेजी आएगी

ब्लूमबर्ग के अनुसार, कोरोना की दूसरी लहर के कारण वित्तीय संकट की स्थिति पहली लहर की अपेक्षा काफी अधिक है और इसके कारण लोगों में अपना सोना बेचने की मजबूरी भी बढ़ सकती है। 2020 में पहली लहर के बाद उपभोक्ताओं ने अपने पास मौजूद सोने पर लोन लेने का विकल्प चुना था। रिपोर्ट के अनुसार, 'ग्रॉस स्क्रैप सप्लाई',जिसमें नए डिजाइन बनाने के लिए पिघला हुआ पुराना सोना भी शामिल है, 215 टन से अधिक हो सकता है और अगर कोविड-19 की तीसरी लहर आती है तो यह बढ़कर 9 साल में सबसे ज्यादा हो सकती है।

देश में सोने की नीलामी बढ़ने से इसके निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सोना अपने उच्चतम स्तर से करीब नौ हजार रुपये सस्ता हो चुका है। इस साल सोने ने अभी तक निवेशकों को निगेटिव रिटर्न दिया है। वहीं, गोल्ड एसेट मैनेजमेंट के कुल एयूएम में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

कम आय वर्ग वाले लेत हैं गोल्ड लोन

अधिकांश गोल्ड लोन लेने वाले कम आय वर्ग वाले लोग होते हैं। वित्तीय संकट के समय उनके पास अपनी जरूरत के पैसे का बंदोबस्त करने का एकमात्र चारा सोने को गिरवी रखना होता है। बैंक आसानी से गोल्ड लोन दे देते हैं क्योंकि यह सुरक्षित होता है। अब जब कोरोना की दूसरी लहर के कारण हालात और खराब हो गए हैं। इसके चलते लोग सोना बेचने को मजबूर हुए हैं।