मुजफ्फरनगर जनपद के जागरूक प्रगतिशील नेता एवं पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान सम-सामयिक विषयों पर विचार प्रकट करते रहते हैं। श्री बालियान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर ध्यान आकर्षित किया है कि शासन द्वारा जातिगत पंचायतें अथवा जातियों की रैलियां करने पर प्रतिबंध के बाद भी जातिवादी राजनीति या धंधेबाजी करने वाले लोग सक्रिय है। उन्होंने हाल ही में मुजफ्फरनगर जिले के प्रकरण का हवाला भी दिया है।

श्री बालियान ने कहा है जातीय धड़ेबाजी और सभाओं या किसी विशेष‌ जाति को इस्तेमाल की प्रवृत्ति से समाज में वैमनस्य एवं टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। इससे समाज को ठेस पहुंच रही है, अत: शासन को अपने आदेश का सख्ती से पालन कराना चाहिए।

एक कड़‌वी सचाई यह है कि प्रत्येक राजनीतिक दल जातिगत राजनीति में उलझा हुआ है। जातियों के आधार पर एवं जातिगत समीकरण फिट कर राजनीतिक गोटी फिट की जाती है। अलग-अलग जातियों के संगठन जातीय पंचायतें आयोजित करते हैं और खुले मंच से घोषणा की जाती है कि हमें सत्ता में भागीदारी चाहिये। जो भी पार्टी सत्ता में हिस्सेदारी देगी , हमारी बिरादरी उसी के साथ चुनाव में खड़ी होगी। नीति सिद्धांतों से इनका कुछ लेनादेना नहीं, बस पद‌ और कुर्सी चाहिए।

जातीय टकराव या विद्वेष के बिना यह हथकंडा नहीं चल सकता अतः जातिवादी नेता शासनादेश के बावजूद इस काम में जुटे हुए है। जातीयता का आलम है कि किसान संगठन भी जातियों के नाम पर बट गए हैं। इनके नेता जाति के दबाव और दबदबे की आड़ लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं। जाति का बाण चला कर या जाति का बम फोड़कर वे हावी होने का प्रयास करते हैं। जातिवाद के बिना इनका अस्तित्व ही नहीं।

जातिवादी राजनीति चलाने वालों को रोकने के लिये चेतना एवं राष्ट्रीय भावना की दरकार है, अलबत्ता कानून कुछ न कुछ प्रभाव तो डालता ही। देखा जाए तो मुख्यमंत्री योगी जी ने यह बहुत सही कद‌म उठाया है।

गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')