जिस समय 25 जुलाई को लोकसभा में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सदन में भिंडरावाले समर्थक अमृतपाल की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, उस समय राहुल गांधी सदन में मौजूद थे। चन्नी ने खालिस्तान सर्मथक अमृतपाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उसे पंजाब के 20 लाख लोगों ने चुना है लेकिन मोदी ने उस पर एनएसए (राष्ट्रीय सरका कानून) थोप कर अमृत पाल की अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली।

अमृतपाल ने क्या कहा था, क्या किया था, यह पूरा देश जानता है। उसे गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ जेल क्यूं भेजा गया, यह भी देश जानता है।

तो फिर राहुल के की मौजूद‌गी में चन्नी ने अमृतपाल का महिमा मंडन क्यूं किया। सदन में रहते हुए भी चन्नी को अनर्गल प्रलाप करने से नहीं रोका और हाथ से इशारा करके कांग्रेस सदस्यों को उकसाते रहे। राहुल की इस हरकत का वीडियो सामने आ गया है। चन्नी की बात पर पूरे देश में कांग्रेस पर थू-थू होने लगी तो 7 घंटे बाद राहुल के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा- अमृतपाल पर चन्नी ने जो कुछ कहा, वह उनके अपने विचार हैं, कांग्रेस के नहीं!

सोनिया, राहुल की यह सोची समझी रणनीति है, जिसे राजनीतिक हथकंडा कहना अधिक उपयुक्त है। पहले वे अपने प्यादों से अनर्गल झूठे, अपमानजनक, राष्ट्र विरोधी वक्तव्य दिलवाते हैं, फिर कह देते हैं कि ये कांग्रेस के नहीं उन नेताओं के निजी विचार है। सैम पित्रोदा, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह, रणदीप सुरजेवाला, पवन खेड़ा, शशि थरुर और खुद जयराम रमेश इस कुटिल रणनीति के मोहरे हैं। कुर्सी के लिए, सत्ताभोग के लिए राहुल की छटपटाहट पता नहीं क्या-क्या करायेगी?

गोविन्द वर्मा