भारत की संप्रभुता सर्वोपरि, हर मुद्दे पर प्रतिक्रिया जरूरी नहीं: जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उपराष्ट्रपति निवास पर इंडियन डिफेंस एस्टेट सर्विस (IDES) के 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए भारत की संप्रभुता, चुनौतियों और जिम्मेदारियों पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे बाहरी प्रभावों और भ्रामक विमर्शों से प्रभावित न हों, क्योंकि भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है और अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत किसी भी बाहरी शक्ति के निर्देशों पर नहीं चलता। हम वैश्विक समुदाय का हिस्सा अवश्य हैं, लेकिन निर्णय हमारे नेतृत्व द्वारा लिए जाते हैं। कूटनीतिक सहयोग और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हम सामंजस्य से आगे बढ़ते हैं, लेकिन आत्मनिर्णय की भावना हमेशा प्रमुख रहती है।

“हर गेंद खेलना जरूरी नहीं”—विवादों पर संयम रखने की सलाह

अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने राजनयिक विवादों या विवादास्पद बयानों पर प्रतिक्रिया देने से पहले संयम बरतने की बात कही। उन्होंने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि कुशल बल्लेबाज़ हर गेंद नहीं खेलते—वे जानते हैं कि किन्हें छोड़ना है। इसी प्रकार, हर बयान या उत्तेजक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना आवश्यक नहीं होता।

मानवता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता

धनखड़ ने वैश्विक संघर्षों की पृष्ठभूमि में भारत की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत अहिंसा और मानवता के सिद्धांतों का पालन करता है। “ऑपरेशन सिंदूर” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अभी समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य केवल कार्रवाई नहीं, बल्कि विवेक और संवेदना को जाग्रत करना भी है।

भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश एक अवसर

उपराष्ट्रपति ने भारत की युवा आबादी को देश की सबसे बड़ी शक्ति बताते हुए कहा कि 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह भारत के लिए न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और तकनीकी प्रगति का भी अवसर है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे ईमानदारी, पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ जनहित में कार्य करें।

विकास कार्यों में पारदर्शिता और तकनीक का इस्तेमाल आवश्यक

उन्होंने चिंता जताई कि कई बार विकास कार्यों में देरी अनुमतियों के विवेकाधीन होने के कारण होती है। इस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, ताकि जनता को पहले से ही यह जानकारी मिल सके कि किसी क्षेत्र में निर्माण संबंधी नियम क्या हैं। उपराष्ट्रपति ने तकनीक के बेहतर उपयोग की बात करते हुए एक केंद्रीकृत डिजिटल प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया, जिससे पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित हो सके।

शिक्षा के बाजारीकरण पर चिंता

धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों के बढ़ते व्यावसायीकरण पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कोचिंग आत्मनिर्भरता और कौशल विकास का माध्यम होना चाहिए, न कि केवल परीक्षा पास करने का जरिया। उन्होंने अखबारों में विज्ञापनों की होड़ और टॉपर बच्चों की तस्वीरों के प्रदर्शन को शिक्षा के व्यवसायीकरण का प्रतीक बताया और कहा कि यह गुरुकुल परंपरा और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के विपरीत है।

विकसित भारत की राह पर

अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अब केवल आर्थिक प्रगति की नहीं, बल्कि सामाजिक समृद्धि की दिशा में भी अग्रसर है। उन्होंने बताया कि विकसित भारत केवल एक सपना नहीं, अब एक ठोस लक्ष्य है, और देश हर दिन उस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here