हिंदू रीति-रिवाजों और सामाजिक जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से काशी विद्वत परिषद ने एक नई हिंदू आचार संहिता जारी की है। लगभग 400 पृष्ठों का यह दस्तावेज देश भर के शंकराचार्यों, महामंडलेश्वरों, विद्वानों और संतों के साथ विस्तृत विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इसमें दहेज प्रथा पर पूर्ण रोक, विवाह समारोहों में अनावश्यक खर्च में कटौती और वैदिक विधि से दिन में विवाह करने की सिफारिश की गई है।

ब्रह्मभोज में मेहमानों की सीमा तय, आधुनिक प्रथाओं पर रोक
संहिता के अनुसार, अंतिम संस्कार उपरांत होने वाले ब्रह्मभोज में अधिकतम 13 लोगों के सम्मिलन की अनुमति होगी। इसके अलावा, सगाई और प्री-वेडिंग शूट जैसी आधुनिक परंपराओं को हतोत्साहित करने की बात भी कही गई है।

धर्म में वापसी की राह आसान, मंदिरों की मर्यादा पर बल
जो लोग कभी दबाव में आकर धर्मांतरण कर चुके हैं, वे अब अपने मूल गोत्र और नाम के साथ हिंदू धर्म में पुनः लौट सकते हैं। साथ ही, मंदिरों की गरिमा बनाए रखने के लिए गर्भगृह में केवल पुजारियों और संतों को ही प्रवेश की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा गया है।

70 विद्वानों की टीम ने तैयार की संहिता, अक्टूबर 2025 में होगा औपचारिक क्रियान्वयन
परिषद के महासचिव राम नारायण द्विवेदी ने जानकारी दी कि इस संहिता को 11 मुख्य और तीन सहायक टीमों में विभाजित 70 विद्वानों ने तैयार किया है। इसमें उत्तर और दक्षिण भारत के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। इसे अंतिम रूप देने से पहले 40 से अधिक विचार-विमर्श सत्र आयोजित किए गए।

संहिता में मनुस्मृति, पराशर स्मृति, देवल स्मृति के साथ गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अंशों का भी उल्लेख किया गया है। देशभर में इसकी पांच लाख प्रतियां वितरित की जाएंगी और अक्टूबर 2025 में प्रमुख धर्माचार्यों की स्वीकृति के बाद इसे औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा।